केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अरुणाचल में आज ब्राइवेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत करेंगे. चीन की ओर से अरुणाचल के 11 इलाकों का नाम बदले जाने के बाद शाह का यह पहला दौरा है. ब्राइवेंट विलेज कार्यक्रम के तहत बॉर्डर क्षेत्र के गांवों में आंधारभूत ढांचें का विकास किया जाना है.भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच अमित शाह का ये अरुणाचल दौरा चीन के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं है।
इस दौरे का मुख्य केंद्र बिंदु अजॉ जिले के किबिथू गांव को बनाया गया है. यहीं से बाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत होगी. खास बात ये है कि किबिथू उन गिने-चुने गांवों में है जो 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के गवाह हैं.भारत सरकार की ओर से भारत और चीना पर बसे गांवों का विकास करने के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम बनाया गया है. इसका उद्देश्य 2023 से लेकर 2026 तक सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 19 सीमावर्ती जिलों में 2,967 गांवों का विकास करना है।
अमित शाह ने इस कार्यक्रम की शुरुआत के लिए अरुणाचल प्रदेश को चुनकर दो संदेश देने की कोशिश की है. पहला तो ये कि अरुणाचल हमारा ही है, इस पर किये गए किसी भी दावे में कोई दम नहीं है. दूसरा ये कि चीन की किसी भी गीदड़ भभकी से भारत डरने वाला नहीं और हर स्थिति से निपटने में सक्षम है.चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 इलाकों के नाम बदलकर चाल चलने की कोशिश की थी, ताकि जब भारत के साथ कभी सीमा विवाद पर बातचीत हो तो वह अपना पक्का दावा और मजबूत कर सके. इसके जवाब में भारत ने बॉर्डर के गांवों को मजबूत करने का ही प्लान बना लिया. इसलिए ताकि सीमा पर रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके और उन्हें अपने मूल स्थानों पर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, ताकि यहां से हो रहा पलायन रुके और भारत का क्षेत्रीय दावा मजबूत हो।
अरुणाचल प्रदेश के जिस किबिथू गांव से वाइव्रेंट विलेज योजना की शुरुआत होने वाली है वह LAC से 15 किमी साउथ में और भारत-चीन-म्यांमांकर ट्राई जंक्शन से 40 किमी वेस्ट में है. यहां तक 2500 करोड़ रुपये से हाईवे भी बनाए जाने की योजना है ताकि यदि सीमा पर कोई अनहोनी हो तो भारत उसका मजबूती से जवाब दे सके.अमित शाह अरुणाचल प्रदेश में अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान कई अन्य कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगे. वह यहां राज्य सरकार की नौ सूक्ष्म पनबिजली परियोजनाओं का उद्धाटन करेंगे और ITBP के भी कार्यक्रम में भाग लेंगे. सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि चीन के यह दौरा चीन के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं है. भारत ने बॉर्डर पर वीवीपी लाकर तुरुत का पत्ता चल दिया है. इससे गांवों का विकास होगा और भारत सीमा तक पहुंच भी आसान कर लेगा।
इसके अलावा यहां के नागरिकों और निवासियों में देशभक्ति और अपनेपन की भावना पैदा होगी और वे दुश्मन देशों की गतिविधियों पर भी नजर रख सकेंगे.क्षेत्रीय नागरिक चीन की गतिविधियों पर रख सकेंगे और समय पड़ने पर सूचना भी दे सकेंगे. पहले भी सीमावर्ती गांवों की बस्तियां भारत के क्षेत्रीय दांवों को बल देती रही हैं और चीन के अतिक्रमण के प्रयासों का विरोध करने में काम आती रही हैं. अब वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम से जिला प्रशासन, ब्लॉक और पंचायत स्तर तक एक तंत्र बनाया जाएगा. जो पवन ऊर्जा, बिजली, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टविटी और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा।