एक तरफ विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2024 में शिकस्त देने के लिए एकजुट हो रहा है, वहीं मुंबई में एनसीपी नेता अजित पवार ने बड़ा खेल कर दिया है. इनकी इस चाल से विपक्षी एकता को बड़ा झटका लगा है. चूंकि एनसीपी के ज्यादातर नेता बीजेपी शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार को समर्थन करना चाहते थे, लेकिन यह काम बिना शरद पवार की मंजूरी के संभव नहीं था. कहा तो यह भी जा रहा है कि एनसीपी नेता किसी हाल में नहीं चाहते थे कि राहुल गांधी विपक्ष के नेता और आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदार बने. एनसीपी की टूट का यह भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है.बता दें कि एनसीपी में करीब एक साल से सबकुछ ठीक नहीं है. खुल कर तो नहीं, लेकिन शरद पवार के पीठ पीछे अजित पवार कई बार पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाते हुए बीजेपी के समर्थन की बात कर चुके हैं. वहीं ईडी, सीबीआई समेत कई अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों की नोटिस के बाद पार्टी के अन्य नेता भी बीजेपी शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार को समर्थन का मुद्दा उठाते रहे हैं।

हालांकि पिछले दिनों शरद पवार ने सन्यास लेने की घोषणा कर सबकुछ ठीक करने की कोशिश की थी, लेकिन वह कोशिश खुद उन्हें ही उल्टी पड़ गई है. इसमें विपक्षी एकजुटता की कवायद ने आग में घी का काम किया है.गौरतलब है कि पिछले दिनों पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में लालू यादव ने राहुल गांधी की तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि ‘जल्द दूल्हा बनो, तुम्हारी मां भी यही चाहती है’. लालू ने उस समय यह भी कहा था कि तुम घोड़ी चढो और हम सभी बाराती बनेंगे. लालू यादव के इस बयान के कई सियासी मतलब भी निकाले गए. माना जा रहा है कि लालू यादव ने राहुल गांधी को विपक्ष की अगुवाई करने के लिए आर्शीवाद दिया है. इस हिसाब से आगामी लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ना केवल विपक्ष का चेहरा हो सकते हैं, बल्कि प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी हो सकते हैं.महाराष्ट्र में एनसीपी के तमाम नेताओं ने भी लालू के बयान का यही अर्थ निकाला है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक एनसीपी के ज्यादातर नेता नहीं चाहते कि लोकसभा चुनाव में एनसीपी कांग्रेस के साथ खड़ी हो. ऐसे में अजित पवार का इशारा मिलते ही पार्टी के नेता कांग्रेस को रोकने का सामर्थ्य रखने वाली बीजेपी को समर्थन देने को तैयार हो गए. यही नहीं, यह सबकुछ इतना तेजी से हुआ कि इसकी भनक पार्टी में ही शरद पवार खेमे को भी नहीं हो सकी।

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