प्रशांत किशोर अपनी पदयात्रा कर रहे हैं. बीपीएससी द्वारा शिक्षक बहाली के मुद्दे पर पीके ने बुधवार (5 जुलाई) को कहा कि बीते दिनों नियोजित शिक्षकों के साथ मारपीट होना गलत है. बिहार में लोग रोजगार के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं. यहां की सरकार ने डोमिसाइल नीति ही बदल दी है. बिहार के लड़के बाहर जाकर मजदूरी करेंगे और दूसरे राज्य के लोग बिहार में आकर शिक्षक बनेंगे. इससे ज्यादा अन्याय और ज्यादती बिहार के बच्चों के साथ और क्या होगी.प्रशांत किशोर ने कहा कि 2015 के विधानसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष बीजेपी के सुशील कुमार मोदी थे।

ऐसे में शिक्षकों ने इन पर भरोसा किया और बीजेपी को समर्थन दिया. दो वर्ष के बाद जब से सत्ता में आए और डिप्टी सीएम बने तो उन्होंने नियोजित शिक्षकों के लिए कुछ नहीं किया. इसके बाद 2020 के चुनाव में नियोजित शिक्षकों ने आंख बंदकर तेजस्वी यादव पर भरोसा किया, आज इनकी ही पार्टी के नेता शिक्षा मंत्री भी हैं. बावजूद इसके इन्होंने भी नियोजित शिक्षकों के लिए कुछ नहीं किया.शिक्षकों को लेकर पीके ने कहा कि अब उन्हें लग रहा है कि उनके साथ विश्वासघात हो गया. बिना सोचे-समझे अगर किसी का दामन पकड़ लीजिएगा तो आपके साथ यही होगा।

बिहार में राजनीतिक दलों को भी मालूम है कि वे चाहे लाठीचार्ज करें या फिर लोगों को जेल में डाल दें, बावजूद इसके जनता उन्हीं को वोट देगी. लोग जाति के आधार पर धर्म के आधार पर वोट उन्हीं को देंगे, जिनको देते रहे हैं. पीके ने कहा कि मैं एक साल से बिहार के लोगों को यही समझाने का प्रयास कर रहा हूं कि अगर गलत व्यक्ति, गलत आश्वासनों पर भरोसा करेंगे तो आपके लिए और आपके बच्चों के लिए समस्या होनी ही है.बता दें कि हाई कोर्ट ने शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया और इसकी नियमावली को चुनौती देने वाली करीब एक दर्जन याचिकाओं पर मंगलवार (4 जुलाई) को एक साथ सुनवाई की. कोर्ट ने बहाली प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 22 अगस्त तय की. बिहार में शिक्षक बहाली प्रक्रिया में 1,70,461 नियुक्तियां बीपीएससी के जरिए होनी हैं. आवेदन की अंतिम तारीख 12 जुलाई है. 24, 25, 26, 27 अगस्त को नियुक्ति के लिए परीक्षा ली जाएगी।

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