गया में विदेशी बौद्ध भिक्षु इस बार धान की खेती करते दिख रहे हैं। ये पहली बार जब बौद्ध भिक्षुओं ने खेती का फैसला लिया। यही नहीं थाईलैंड से मंगाए गए स्टिकी राइस की गया में पहली बार खेती कर रहे। उन्हें स्थानीय बाजार बोधगया में स्टिकी राइस खाने के लिए नहीं मिला। इसके लिए वह थाईलैंड से स्टिकी राइस को फ्लाइट से मंगवाते हैं। उनका कहना है कि थाईलैंड से मंगाने में ये स्टिकी राइस बोधगया पहुंचते–पहुंचते काफी मंहगी हो जाते हैं। इसलिए यहां आसपास में कुछ जमीन को लीज पर लेकर वो इस चावल की खेती कर रहे हैं।
विदेशी पर्यटकों या बौद्ध भिक्षुओं के बारे में ज्यादातर लोग समझते हैं कि वे यहां भगवान बुद्ध का पूजा करने या दर्शन करने ही आते हैं। लेकिन यह बात कहना उचित नहीं होगा। हम ऐसा इसलिए कह रहे क्योंकि बौद्ध भिक्षु महाबोधि मंदिर का दर्शन पूजन के साथ ही स्थानीय मगध यूनिवर्सिटी में पढ़ाई भी करते हैं। 200 से ज्यादा विदेशी बौद्ध छात्र विभिन्न विषयों की पढ़ाई यहां करते हैं। यहां के बौद्ध मंदिरों में भी छात्र रहते हैं।बौद्ध मंदिरों में रहने वाले विदेशी बौद्ध भिक्षु अध्यन करने के साथ-साथ अपने हिसाब से खेती भी करते हैं। यही नहीं आसपास के लोगों विदेशी खेती के बारे में बताते भी हैं। ऐसा नजारा बोधगया में देखने को मिला। बोधगया स्थित वट लाओस बौद्ध मंदिर में रहने वाले थाईलैंड और लाओस के बौद्ध भिक्षुओं ने पहली बार स्टिकी राइस की खेती का फैसला लिया। यही नहीं वो खुद खेतों में इस धान की रोपनी करते दिखे।