हाजीपुर सांसद और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) प्रमुख पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान में तकरार थमती नहीं दिख रही है. आज केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा कि वह चिराग पासवान के साथ नहीं आएंगे, क्योंकि जब दिल टूटता है तो फिर नहीं जुड़ता.उन्होंने कहा है कि अगर भारतीय जनता पार्टी (BJP) चाहे, तो चिराग पासवान को एनडीए (NDA) में शामिल कर सकती है. पारस ने कहा, “मैंने यह नहीं कहा कि उन्होंने (चिराग पासवान) सबके सामने यह कहा है (हमारे खून में फर्क है). हम कभी साथ नहीं आएंगे. दल टूटता है तो जुड़ता है पर दिल टूटता है तो नहीं जुड़ता. मैंने बीजेपी से कहा कि अगर आप चाहें तो चिराग पासवान को NDA गठबंधन में जोड़ सकते हैं, लेकिन मैं चिराग पासवान को दल में नहीं मिलाऊंगा, दिल में नहीं मिलाऊंगा।

‘राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के प्रमुख ने दावा किया कि उनके भतीजे और लोकसभा सदस्य चिराग पासवान को कानून के मुताबिक सिर्फ उनके पिता की संपत्ति विरासत में मिलेगी. पारस ने कहा कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव बिहार की हाजीपुर सीट से लड़ेंगे. उन्होंने दावा किया कि रामविलास पासवान ने उन्हें 2019 में भी इस निर्वाचन क्षेत्र से लड़ने के लिए कहा था.पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का लंबी बीमारी के बाद अक्टूबर, 2020 में निधन हो गया था. उनके बेटे चिराग पासवान और छोटे भाई पारस के बीच मतभेद के बाद उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) दो गुटों में बंट गई. चिराग की अगुवाई वाली लोजपा (रामविलास) और पारस के नेतृत्व वाली रालोजपा दोनों बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा हैं.दरअसल, चाचा-भतीजे हाजीपुर सीट को लेकर आमने-सामने आ गए हैं. हालांकि, एनडीए की बैठक में चिराग ने जब चाचा पशुपति के पैर छूए तो ऐसा माना जा रहा था कि चाचा-भतीजे की बीच की दूरियां खत्म हो गई हैं.हाल ही में पशुपति पारस ने हाजीपुर से लड़ने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि मैं हाजीपुर से ही चुनाव लड़ूंगा, मेरे अलावा यहां से कौन चुनाव लड़ेगा. इसके बाद चिराग पासवान ने हाजीपुर सीट पर अपना दावा ठोक दिया और कहा कि मैं इस सीट पर इसलिए दावा कर रहा हूं, क्योंकि मैंने गठबंधन में शामिल होने से पहले इस पर बात की थी. आज अगर मैं ऐसा बोल रहा हूं तो गठबंधन ने मुझे अधिकार दिया है.बता दें कि हाजीपुर पार्टी की पारंपरिक सीट मानी जाती है. बता दें कि हाजीपुर पार्टी से दिवंगत नेता रामविलास पासवान चुनाव लड़ते थे. उन्होंने 1977 में कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर सीट पर धाक जमाई थी।

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