सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन के पुराने बयान का मुद्दा उठा. लोन की ओर से कथित तौर पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए जाने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अकबर लोन अदालत में हलफमाना दाखिल करके कहें कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग और वह संविधान को मानते हैं. अगर अकबर लोन ने संविधान के अनुच्छेद 32 का इस्तेमाल करके सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है तो उन्हें संविधान का पालन करना चाहिए.मामले की सुनवाई के दौरान लोन की ओर से कोर्ट में पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने इस पूरे मसले में खुद को किनारा कर लिया. उन्होंने कहा है कि अगर लोन ने कुछ कहा है तो वह उस पर हलफनामा दाखिल करें. सिब्बल ने कहा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और अनुच्छेद 370 की सुनवाई के दौरान हर किसी को भारत की संप्रभुता पर विश्वास है.सिब्बल ने कहा कि किसी भी पक्ष ने भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दी है. इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि लोन पर आरोप लगा है कि उन्होंने कुछ ऐसा कहा है जिसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. जिसके जवाब में सिब्बल ने कहा, अगर लोन ने ऐसा कुछ कहा है कि वह किस परिस्थिति में कहा है, वह सब रिकॉर्ड पर है, उन्हें हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दे सकते हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- हम यह मान लें क्या लोन भारत की संप्रभुता को स्वीकार करते हैं और जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग मानते हैं? सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा, लोन आज संसद के सदस्य हैं, उन्होंने भारत के संविधान की शपथ ली है, वह भारत के नागरिक हैं और अगर किसी ने ऐसा कुछ कहा है, तो मैं उसकी निंदा करता हूं. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अकबर लोन यह लिखकर दें कि उनका अलगाववादी ताकतों से कोई लेना देना नहीं है.दरअसल, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन 2002 से 2018 तक विधानसभा के सदस्य थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने साल 2018 में विधायक रहते हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कथित तौर पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाया था. उनके इस नारे को लेकर कश्मीरी पंडितों के संगठन रूट इन कश्मीर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की गई है. जिसमें दावा किया गया है कि लोन जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी ताकतों के समर्थक के रूप में जाना जाता है।