शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक द्वारा रक्षाबंधन, जनामाष्टमी, और तीज समेत अन्य छुट्टियों में कटौती किए जाने के बाद सरकार की भारी फजीहत हुई और आखिरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केके पाठक के आदेश को रद्द कर दिया। सरकार के इस फैसले के बाद शिक्षकों को पहले की तरह ही छुट्टियां मिल सकेंगी। सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी ने बड़ा दावा किया है। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बीजेपी के दबाव में सरकार ने केके पाठक का फैसला रद्द किया है।सुशील मोदी ने कहा है कि हिंदू पर्व त्योहारों की छुट्टी में कटौती किए जाने के मामले में आखिरकार बीजेपी के दबाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झुकना पड़ा। नीतीश कुमार की सरकार ने रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, तीज, जीतिया, छठ, होली, दीपावली की छुट्टियों में जो कटौती की थी उसका इतना भारी विरोध हुआ की आखिरकार सरकार को अपना आदेश वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार की अभी और भी फजीहत होने वाली है। केके पाठक के कारण इसके पहले भी और विश्वविद्यालय के अंदर जो कुलपतियों की नियुक्ति का मामला था उसमें दो दो विज्ञापन निकाले गए लेकिन बाद में मुख्यमंत्री को राजभवन जाकर घुटना टेकना पड़ा और अपने आदेश को वापस लेना पड़ा।

चार साल डिग्री के मामले में भी राजभवन और केके पाठक के बीच जो टकराव हुआ उस मामले में भी सरकार को पांव पीछे खींचना पड़ा। बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति का वेतन रोकने का मामला हो या शिक्षा के स्वतता में हस्तक्षेप का मामला हो केके पाठक ने नीतीश कुमार की इतनी फजीहत करा दी है कि अब मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे केके पाठक को अविलंब हटाएं।सुशील मोदी ने शिक्षा विभाग के एसीएस से पूछा है कि क्या इतनी बेईज्जती के बाद भी केके पाठक अपने पद पर बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि केके पाठक के कम से कम आधा दर्जन आदेशों को सरकार की फजीहत के कारण वापस लेना पड़ा है। उन्होंने कहा कि ये वही केके पाठक हैं जो 2010 के समय भी इसी तरह की परिस्थिति उत्पन्न हो गई थी और केके पाठक के तमाम आदेशों को वापस लेना पड़ा था और अंत में नीतीश कुमार को केके पाठक को हटाना पड़ा था। उन्होंने सीएम नीतीश से मांग की है कि वे अपनी और सरकार की और फजीहत होने से बचाएं और केके पाठक को तुरंत हटाएं, तभी फजीहत से बच पाएंगे।

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