बिहार में पिछले सात सालों से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है। इसके बाद भी शराब से जुड़ी कई मामले सामने आते रहते हैं। कई बार पुलिस कार्रवाई कर अवैध शराब को जब्त भी करती है। वहीं पिछले दिनों छपरा समेत कई अन्य जिलों में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं अब मोतीहारी में जहरीली शराब से कई लोगों की जान जा चुकी है। इसके बाद बिहार की सियासत एक बार फिर शराबबंदी कानून की विफलता को लेकर गरमाई है।विपक्ष के नेता बिहार सरकार पर कई तरह के सवाल खड़ा कर रहे है। इसी क्रम में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मोतीहारी में जहरीली शराब से मरे लोगों के परिजनों से आज भेंट की औऱ शोक व्यक्त करते हुए उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब की घटनाओं में प्रशासन औऱ पुलिस के वरीय अधिकारियों पर कार्रवाई हो।

थानेदार, चौकीदार और ग्राम रक्षकों को पकड़ने औऱ मात्र उनपर कार्रवाई करने से इन घटनाओं को रोका जाना सम्भव नहीं है।सिन्हा ने कहा कि पूर्व में छपरा समेत राज्य के अनेक जिलों में जहरीली शराब से सैकड़ों लोग मर चुके है।सरकार ने किसी भी घटना को गम्भीरतापुर्बक नहीं लिया। अब यह जरूरी है कि शरबबंदी के बाद से 7 वर्षों में हुई इन घटनाओं को व्योराबद्ध कर समेकित रूप से इसकी जाँच हाइकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए ताकि इन घटनाओं के स्रोतों,ट्रेन्ड औऱ पद्धति के साथ षडयंत्र करने वाले लाभुकों का पता चल सके।इस प्रकार की जाँच के उपरांत इनकी अनुशंसा को भी सरकार के द्वारा लागू किया जाना समाज और राज्य के लिए हितकर होगा।सिन्हा ने कहा कि पूर्व की भांति कार्रवाई की खानापूर्ति के नाम पर मोतीहारी की घटनाओं के बाद गरीब और कमजोर परिवार के लोगों को पकड़ा जा रहा है।इससे सरकार को कुछ भी हासिल होनेवाला नहीं है।आज आवश्यकता है कि उन माफियाओं को पकड़ा जाय जिन्होंने अबैध शराब की आपूर्ति का लंबा चेन बनाकर 24×7 इस कुत्सित कार्य करने का जिम्मा ले रखा है।

ये सत्ताधारी दलों के खजाने को भरने का भी दायित्व ले रखे हैं।सत्ता संरक्षण के कारण कोई इनका बाल बांका नहीं कर सकता है।वहीं नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या मुख्यमंत्री जी बताएंगे कि राजद द्वारा गोपालगंज में शराब कारोबारी को उम्मीदवार बनाये जाने पर उन्होंने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की थी? मुख्यमंत्री जी ने जहरीली शराब के कारण हुई मोतौं में मुआवजे के विषय पर सदन में सर्वदलीय बैठक करने की घोषणा की थी। अभी तक बैठक नहीं करने का क्या कारण है? यह चिंता का विषय है। मोतीहारी में पूरा सरकारी महकमा लगा हुआ है कि किस प्रकार मृतकों के आंकड़ों को कम कर दिखाया जाय।लोगों पर दबाव डाला जा रहा है की वे अपने परिजनों की मृत्यु का कारण ज़हरीली शराब नहीं कोई अन्य बीमारी बताएँ। प्रशासन द्वारा लोगों को सरकारी अस्पताल में ईलाज कराने जाने से रोका जा रहा है। उन्हें कहा जा रहा है कि निजी अस्पताल ले जाएं ताकि मृतकों औऱ बीमारों की सही संख्या का पता नहीं चल सके।ये खेल बन्द होना चाहिये।

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