ज्यादा दिनों की बात नहीं है जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर जगह चीख चीख कर कह रहे थे-जो पियेगा, वह मरेगा. शराब पीकर मरने वालों पर कोई रहम नहीं होगा। चार महीने विधानसभा में जहरीली शराब से मौत पर जबरदस्त हंगामा हुआ था। बौखलाये नीतीश कुमार सदन के अंदर तू-तड़ाक पर उतर आये थे। उन्होंने कहा था कि जहरीली शराब से मौत पर मुआवजे की मांग करने वाले ही लोगों को शराब पिला रहे हैं। नीतीश ही नहीं बल्कि उनके डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और सरकार के दूसरे मंत्री अड़े हुए थे-शराब पी कर मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।

लेकिन आज अचानक से नीतीश कुमार ने यू टर्न मार लिया।नीतीश कुमार ने एलान कर दिया कि जहरीली शराब पीकर मरने वाले हर व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा दिया जायेगा. अभी ही नहीं बल्कि 2016 से ही जो कोई भी जहरीली शराब से मरा है, वैसे तमाम लोगों के परिजनों को मुआवजा दिया जायेगा. सवाल ये है कि पॉलिटिकल यू टर्न मारने में मास्टर नीतीश ने शराब पर यू-टर्न क्यों मारा. क्या उन्हें अंदाजा हो गया है कि शराबबंदी उन्हें कितना नुकसान पहुंचा रही है।दरअसल सीएम नीतीश कुमार ने सोमवार को ऐलान किया कि जहरीलीशराब से मरने वाले लोगों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की मदद दी जाएगी. ये फैसला 2016 से लागू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि चीफ सेक्रेटरी औरअधिकारियों को रिपोर्ट बनाने का आदेश दे दिया गया है. रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित परिवारों को मदद दी जाएगी. 2016 के बाद से सरकार शराब पीकर जितने लोगों की मौत हो गई है उन सभी के परिजनों को सरकार मदद करेगी. इसके लिए मृतक के परिजनों को ये लिखकर देना पड़ेगा कि वे शराबबंदी के पक्ष में हैं और शराब पीकर गलती की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मरने वालों में गरीब तबके के लोग हैं और उनके परिवार वाले परेशान हैं.इसे देखते हुए सरकार ने तय किया है कि परिजनों को मुख्यमंत्री रिलीफ फंड से सहायता दी जाए।

वाकया 14 दिसंबर 2022 का है. बिहार के सारण में जहरीली शराब पीने से लगभग सौ लोगों की मौत हो गयी थी. इसके बाद विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया था. बिहार विधानसभा में जहरीली शराब पीकर मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग कर रहे बीजेपी विधायकों पर मुख्यमंत्री आपा खो बैठे थे।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा में चीखते हुए तू-तड़ाक पर उतर आये थे. उन्होंने कहा था कि मुआवजा देने की मांग करने वाले ही जहरीली शराब का कारोबार करा रहे हैं. विधानसभा में न सिर्फ नीतीश कुमार बल्कि सरकार की ओर से आधिकारिक बयान देते हुए संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा था कि जहरीली शराब पीकर मरने वालों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता. इसका मतलब ये होगा कि सरकार शराब पीने वालों को प्रोत्साहित कर रही है।डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी सत्ता में आने के बाद नीतीश के सुर में ही बोल रहे थे. तेजस्वी यादव ने कई दफे कहा कि नीतीश कुमार सही बोल रहे हैं-जो पियेगा वह मरेगा. उन्हें सरकार मुआवजा कैसे दे सकती है. मीडिया को बिहार में जहरीली शराब से मौत पर चर्चा करने के बजाय भाजपा शासित राज्यों में जहरीली शराब से होने वाली मौत की खबर दिखानी चाहिये।बिहार में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला 2016 से शुरू हुआ था. तब से लेकर अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब से होने की बात सामने आ चुकी है।

हालांकि सरकार कुछ लोगों की मौत होने की ही बात मानती है. लेकिन जहरीली शराब से मौत के बाद लोगों में पनपे आक्रोश का अंदाजा सरकार को हो गया है. दरअसल जहरीली शराब से ज्यादातर दलित औऱ पिछड़े वर्ग के लोगों की मौत हो रही है. हर घटना के बाद लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है. इसका अहसास नीतीश कुमार को सात साल बाद हुआ है. उन्हें लग रहा है कि उनके सियासी अरमान शराब में ही डूब कर खत्म हो जायेंगे. लिहाजा सात सालों तक चीखने-चिल्लाने के बाद नीतीश कुमार ने यू-टर्न मारा है. देखना होगा कि उनका यू-टर्न किस हद तक कारगर साबित होता है।

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