नये संसद भवन में प्रवेश के बाद सरकार की ओर से बांटी गई संविधान की कापियों में से धर्मनिरपेक्षता और समावाद शब्द गायब है. इसे विपक्षी दलों ने बड़ा मसला बना दिया है. इस मुद्दे पर आप सांसद संजय सिंह ने दावा किया है कि दोनों शब्दों से बीजेपी (BJP) का कोई लेना-देना नहीं है. देश में अमन चैन और धर्मनिरपेक्षता से बीजेपी का क्या मतलब? बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर और अन्य संविधान निर्माताओं की सोच से अलग इनकी सोच है. बीजेपी को समाजवाद यानी समतामूलक समाज की स्थापना नहीं करना है. इसलिए, बीजेपी वालों को इससे क्या मतलब? हां, ये 13 लाख करोड़ रुपए का फायदा अपने पूंजीपति मित्रों को जरूर पहुंचा सकते हैं. ताकि वो बैंकों को लूट सकें. इनकी रुचि अपने दोस्तों को देश से सुरक्षित भगाना में हैं. पहले भी जब केंद्र सरकार ने कैलेंडर बांटा था तो उसमें भी यही खेल किया गया था।
सच यह है कि बीजेपी को धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद से नफरत है. ये देश में गैर बराबरी को बनाए रखना चाहते हैं. बीजेपी नफरतों की बुनियाद पर बनी पार्टी है. इनका वश चले तो ये कुछ भी कर सकते हैं. संजय सिंह ने पीएम मोदी का नाम लेते हुए कहा कि जब 2014 में संसद के अंदर प्रवेश किया तो नमन किया था. अब संसद को छोड़ दिया. अब नये संसद में संविधान लेकर घुसे हैं. आने वाले दिनों संविधान छोड़कर कहीं और चले जाएंगे. इससे आगे उन्होंने कहा कि 2024 चुनावी साल है. माहिला आरक्षण (Women Reservation Bill) को 2024 में ये लागू नहीं करना चाहते. इस लिहाज से देखें तो यह महिला बेवकूफ बनाओ बिल है. हकीकत यह है कि यह बिल 2029 क्या 2039 में भी पास होगा या नहीं होगा, इसके बारे में कुछ नहीं पता. ये महिला आरक्षण को रोकने की योजना है. इसका दोष इंडिया पर न आये, इसलिए विपक्षी दलों के बीच सहमति बनी है, बीजेपी की मंशा का विरोध करते हुए संसद में इसका समर्थन करेंगे. 2024 में बीजेपी को हटाकर जब हमारी सरकार बनेगी तो हम इसे बदलकर कांग्रेस द्वारा पास मूल विधेयक को पास कराएंगे।