महाकौशल और विंध्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को बेअसर करने के लिए कांग्रेस दिग्गज राहुल एवं प्रियंका गांधी इन इलाकों में जनता की नब्ज टटोलने आ रहे हैं. राहुल गांधी 10 अक्टूबर को शहडोल जिले के ब्यौहारी और प्रियंका गांधी 12 अक्टूबर को मंडला जिले में पब्लिक रैली को संबोधित करेंगी. कांग्रेस की तैयारी विधानसभा चुनाव में जातीय गणना के दांव के साथ ओबीसी,दलित और आदिवासी वोटरों को साधने की है. महाकोशल क्षेत्र का आदिवासी बहुल जिला है. इन दोनों इलाकों में 24 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए रिज़र्व है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल (विंध्य) और जबलपुर (महाकोशल) में दो पब्लिक रैली करते हुए आदिवासी वोटरों को लुभाने का प्रयास कर चुके है. इसी तरह मण्डला में गृहमंत्री अमित शाह भी एक जनसभा कर चुके हैं. इस दौरान बीजेपी के दोनों दिग्गज नेताओं ने आदिवासियों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था।

अब बारी कांग्रेस की तरफ से उन्हें जवाब देने की है.इसी वजह से राहुल और प्रियंका गांधी आदिवासियों के बीच पहुंचकर बीजेपी के आरोपी को काउंटर करने की कोशिश करेंगे.मालवा अंचल में पोलायकला में ओबीसी कार्ड चलने के बाद कांग्रेस अब प्रदेश की पौने दो करोड़ आबादी वाले आदिवासी वर्ग के बीच पहुंच रही है. राहुल गांधी 10 अक्टूबर को विंध्य क्षेत्र के शहडोल जिले के ब्यौहारी में चुनावी सभा को संबोधित कर गोंड और कोल आदिवासी मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे. इसी तरह प्रियंका गांधी 12 अक्टूबर को महाकौशल के आदिवासी बहुल जिले मंडला में पहुंच रही हैं. वे यहां चुनावी सभा को संबोधित करेंगीं. प्रियंका की मंडला और राहुल की ब्यौहारी में होने वाली सभा से कांग्रेस यहां आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 24 सीटों पर फोकस करेगी और जीत की संभावनाएं तलाशेगी.यहां बताते दें कि साल 2018 के चुनाव में विंध्य इलाके से कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने वाली बीजेपी इस बार थोड़ा तनाव में है. पिछले चुनाव में विंध्य की 30 में से 24 सीट पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. इस बार जनता में नाराजगी और पार्टी के भीतर अंतर्विरोध की खबरों के बीच बीजेपी लगातार विंध्य इलाके पर फोकस कर रही है. यहां के रीवा और शहडोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2 मेगा इवेंट बीजेपी आयोजित कर चुकी है. इसी तरह गृह मंत्री अमित शाह भी आदिवासी कोल समाज के शबरी सम्मेलन में शिरकत करने विंध्य आ चुके हैं.अब बात आदिवासी बहुल महाकौशल रीजन की करें तो यहां पिछले चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी था.बता दे कि महाकोशल क्षेत्र में जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जिले आते हैं.यहां के परिणाम हमेशा ही चौकाने वाले रहे हैं. 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को महाकोशल इलाके से निराशा हाथ लगी थी. महाकौशल की 38 में से 24 सीट कांग्रेस के खाते में गई थी, जबकि बीजेपी को सिर्फ 13 सीट से संतोष करना पड़ा था।

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