उद्योगपति गौतम अडानी पोर्ट मैनेजमेंट सेक्टर की दुनिया के बादशाह है. भारत की सबसे बड़ी पोर्ट कंपनी होने के साथ ही हाल में उन्होंने इजराइल के हाईफा पोर्ट के मैनेजमेंट की भी डील की थी. अब उन्होंने वो कर दिखाया, जिसका भारत लंबे समय से इंतजार कर रहा था. इसी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा जहाज भी भारत पहुंचने वाला है.दरअसल भारत की लंबे समय से कोशिश रही है कि वह दुनिया के ट्रेड ट्रांजिट हब के तौर पर खुद को डेवलप कर सके. भारत के पास ऐसा एक पोर्ट हो जहां दुनिया के बड़े-बड़े जहाज रुक कर आराम कर सकें. मरम्मत और मेंटिनेंस का काम करवा सकें और री-फ्यूलिंग करवा सकें. लेकिन ऐसा कोई पोर्ट भारत के पास नहीं था, जहां इतने बड़े जहाजों को ठहराया जा सके. गौतम अडानी की कंपनी ने अब ऐसा एक पोर्ट तैयार कर लिया है.देश के दक्षिणी छोर से कुछ ही दूरी पर अडानी पोर्ट्स ने केरल में विझिंजम पोर्ट डेवलप किया है. ये देश में अपने तरह का पहला ऐसा बंदरगाह है. रविवार 15 अक्टूबर से ये काम करना शुरू कर चुका है. इस पोर्ट की मदद से भारत को इंटरनेशनल मैरीटाइम ट्रेड में बड़ी हिस्सेदारी हासिल होगी, जिस पर अभी चीन का दबदबा है. इसी के साथ ये भारत को एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने का भी काम करेगा, क्योंकि ये कंपनियों के लिए लागत को कम करेगा.इस बंदरगाह की शुरुआत के साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा जहाज भारत आएगा. जी हां, Zhen Hua 15 नाम का ये कारगो जहाज पूर्वी चीन सागर से यात्रा पर निकला है, जो रविवार को ही इस बंदरगाह पर पहुंचेगा. ये दुनिया का सबसे बड़ा कारगो जहाज है।
इसके भारत पहुंचने के साथ ही देश में पहली बार इतनी बड़ी क्रेन मशीन को ऑपरेट होते देखा जाएगा. इतना ही नहीं ये भारत को दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर शिप्स को हैंडल करने की क्षमता वाले देशों की लिस्ट में शुमार करेगा.यहां 24 मीटर गहरी प्राकृतिक धारा है, जिसकी वजह से दुनिया के सबसे बड़े जहाज को आराम से इस बंदरगाह पर पार्क कराया जा सकता है. इससे पहले दुनिया के अधिकतर बड़े जहाज भारत पर रुके बिना ही आगे बढ़ जाते थे. इसकी जगह वह दुबई, सिंगापुर और श्रीलंका के कोलंबो में हॉल्ट लिया करते थे.इस साल की शुरुआत में शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप परेशानियों का सामना कर रहा है. ऐसे में विझिंजम पोर्ट की शुरुआत उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि है. ये बंदरगाह उस इंटरनेशनल ट्रेड रूट के रास्ते में पड़ता है, जहां से दुनिया का 30 प्रतिशत कारगो ट्रैफिक गुजरता है।