बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बीजेपी प्रेम एक बार फिर छलक पड़ा । वे मोतिहारी में सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में मंच से बोल रहे थे। इसी दौरान उनका बीजेपी प्रेम छलक पड़ा। नीतीश कुमार ने अपने संबोधन के दौरान कहा-‘जितने लोग हमारे हैं सब साथी हैं, छोड़िए ना भाई हम अलग हैं आप अलग हैं. इसका कोई मतलब है? जब तक जिंदा है, तब तक आपलोगों (भाजपा नेताओं) से दोस्ती बनी रहेगी।’नीतीश कुमार ने मोतिहारी में महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में मंच से ये बातें कही। इस दौरान बिहार दौरे पर आयीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर समेत बीजेपी के कई नेता मौजूद थे।नीतीश कुमार के इस बयान ने एकबार फिर सियासी हलकों में सुगबुगाहट पैदा कर दी है कि नीतीश कहीं फिल पलटनेवाले तो नहीं हैं।

हालांकि पिछले कुछ दिनों से ऐसे संकेत मिल रहे थे कि नीतीश एक बार फिर बीजेपी के साथ जा सकते हैंष लेकिन नीतीश ने क्लियर कर दिया कि ये सब अफवाह फैलाया जा रहा है। दरअसल, इंडिया अलायंस में नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने की संभावना थी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। 2022 में बीजेपी से गठबंधन तोड़कर जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आए थे तो उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सबको एकजुट करने की बात कही थी। बाद के दिनों में उन्होंने इसकी पहल भी की। विपक्षी नेताओं की पहली बैठक पटना में ही हुई। नीतीश कुमार को उम्मीद थी कि इंडिया अलायंस में उन्हें संयोजक बनाया जाएगा और उनकी पीएम पद की उम्मीदवारी भी लगभग पक्की हो जाएगी। लेकिन पिछले कुछ दिनों का घटनाक्रम ऐसा रहा जिससे नीतीश कुमार को निराशा ही हाथ लगी। संयोजक के नाम विपक्षी गठबंधन में सहमति नहीं बन पा रही है। हालांकि नीतीश ने बाद में खुद कहा कि मुझे नहीं बनना है संयोजक, दूसरे लोग बनें।इस बीच नीतीश कुमार के कुछ बयान आए या फिर उन्होंने कुछ ऐसा किया जिससे उनके बीजेपी में जाने के संकेत मिलने लगे। आरजेडी के साथ आयोजित कार्यक्रम में न पहुंचकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय से जुड़े कार्यक्रम में चले जाना, साथ ही कुछ ऐसे बयान भी आए जिससे उनके घर वापस लौटने के कयास लगाए जाने लगे। और फिर आज मोतिहारी में उन्होंने जो कुछ भी कहा है वह एक बार फिर सियासी सरगर्मियों को बढ़ा सकता है।

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