बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार ने बिहार की शिक्षा को इतना बर्बाद कर दिया कि अब राज्य को योग्य शिक्षक नहीं मिल रहे हैं। संभवतः यह पहला राज्य है, जहां शिक्षकों का पुराना कैडर समाप्त कर दिया गया।सुशील मोदी ने कहा कि बिहार लोकसेवा आयोग ने 1.70 लाख शिक्षकों की नियुक्ति-परीक्षा के जो परिणाम जारी किये, उसमें मात्र 1 लाख 22 हजार 324 अभ्यर्थी सफल हुए। इन सबकी नियुक्ति के बाद भी 47,676 शिक्षकों के पद खाली रह जाएंगे। उच्च माध्यमिक स्तर के 16 विषयों में सिर्फ 25.48 फीसद उत्तीर्ण हुए। पिछले दिनों हेडमास्टर नियुक्ति परीक्षा में केवल 4 फीसद पास हुए।उन्होंने कहा कि बिहार में 17 साल से नीतीसे कुमार हैं, लेकिन स्कूली शिक्षा में बहार नहीं है।

शिक्षा विभाग 2021 तक जदयू कोटे के मंत्रियों के पास ही रहा और बिहार सामूहिक नकल, पेपर लीक से लेकर शिक्षकों पर अत्याचार की खबरों से बदनाम होता रहा। राज्य में सिपाही-दारोगा भर्ती से लेकर सेना और रेलवे की नौकरी के लिए लाखों लोग आवेदन करते हैं लेकिन यहां के स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं बनना चाहता। शिक्षकों के रिक्त पद से कम आवेदन और परीक्षा में जरूरत से कम लोगों का सफल होना अत्यंत चिंताजनक है।सुशील मोदी ने कहा कि आयोग यदि इसी तरह परीक्षाएं लेता रहेगा और टीईटी उत्तीर्ण लोगों की सीधी नियुक्ति नहीं की जाएगी, तो 10 साल में भी शिक्षकों के सभी पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाएगी। एसटीइटी उत्तीर्ण और बीएड डिग्री वाले अभ्यर्थियों की अंकों के आधार पर सीधी नियुक्ति कर शिक्षकों के रिक्त पद तुरंत भरे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा को चौपट कर नीतीश कुमार ने राज्य की कई पीढियों को जॉब मार्केट से बाहर कर दिया।

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