कर्नाटक में चुनाव हों और साल 1999 में हुई बेल्लारी जंग को याद न किया जाए ऐसा हो नहीं सकता। वो भी ऐसी जंग जो कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही पार्टियों की दिग्गज नेताओं के बीच हुई हो। दरअसल ये जंग कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीजेपी की दिग्गज नेता रहीं सुषमा स्वराज के बीच हुई थी।साल 1999 की बात है जब लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की बेल्लारी सीट से कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनाव लड़ रही थीं।
इस दौरान बीजेपी ने सुषमा स्वराज को मैदान में उतारा। सुषमा स्वराज ने इस चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था।सोनिया गांधी को हराने के लिए सुषमा स्वराज ने सिर्फ एक हफ्ते के अंदर कन्नड़ भाषा सीख ली थी। कन्नड़ सीख कर एक तरफ जहां उन्होंने सभी को हैरान कर दिया था, वहीं दूसरी ओर उन्होंने यहां के स्थानीय लोगों का दिल भी जीत लिया था।ऐसा माना जाता है कि सुषमा स्वराज यहां के लोगों से बातचीत कर उनकी परेशानियों के बारे में जानना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कन्नड़ सीखने का फैसला किया। मजे की बात यह रही कि उन्होंने एक हफ्ते में इस भाषा को सीख भी लिया और लोगों तक भाषा के जरिए अपनी पहुंच भी बनाई। बेल्लारी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। हालांकि, यहां के राजनीतिक इतिहास में कई उतार-चढ़ाव भी देखे गए हैं।
सुषमा स्वराज ने इसके बाद चुनावी रैलियों में कन्नड़ भाषा में भाषण देना भी शुरू कर दिया। जहां कांग्रेस की ओर से ट्रांसलेटर की जरूरत पड़ रही थी, वहीं अब वे फर्राटेदार कन्नड़ भाषा में सबके सामने अपनी बात रख पा रही थीं।बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी जब यहां रैली के दौरान पहुंचे तो सुषमा का 20 मिनट का भाषण सुन वे भी उनके फैन हो गए थे। यहां तक की रैली को दौरान उन्होंने सुषमा की तारीफ भी की थी।इस चुनाव में सुषमा स्वराज भले ही जीत न पाई हों लेकिन उनकी हार के चर्चे अभी तक होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने इस चुनाव को अपनी मेहनत के साथ काफी दिलचस्प बना दिया था। सुषमा ने यहां करीब 18 दिन प्रचार किया था और इन 18 दिनों में उन्होंने ‘स्वदेशी बनाम विदेशी’ का मुद्दा उठाया। दरअसल सुषमा रैलियों में सभी को स्वेदेशी बेटी बताती थीं वहीं सोनिया गांधी के लिए विदेश बहू शब्द का इस्तेमाल किया करती थीं।
सुषमा ने अपनी एक चुनावी रैली के दौरान कहा था, “प्रियंका अपनी मां के लिए वोट मांग रही हैं… मैं भारत माता के लिए वोट मांग रही हूं, कृप्या बीजेपी को वोट दें।” उन्होंने ये भी कहा था कि सोनिया जी का दावा है कि वे इस देश की नागरिक हैं, तो हां वे एक नागरिक हैं लेकिन अगर वे प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं तो हमारा जवाब न होगा।खास बात ये है कि बेल्लारी कर्नाटक की एक ऐसी सीट है जहां हार-जीत में अंतर भी लाखों में होता रहा था। सुषमा स्वराज में मैदान में उतरने के बाद लोगों के मन में कुछ ऐसी छाप छोड़ी कि वोटों में केवल 56,100 का मार्जिन देखा गया।बेल्लारी से भले ही बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन देश में सरकार तो बीजेपी की ही बनी थी। BJP गठबंधन को कुल 269 सीटें मिलीं थी।
दरअसल 29 सीटें जीतने वाली टीडीपी ने पार्टी को समर्थन दिया था। वहीं कांग्रेस के हवाले 114 सीटें ही आ पाई थीं।इस चुनाव में सबसे ज्यादा अगर चर्चा हो रही थी तो वो थी सुषमा स्वराज की हार की। हार कर भी सुषमा ने सभी का दिल जीत लिया था। इसके बाद उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में देखा गया। इसके बाद उन्हें 2000 में उत्तरप्रदेश से राज्यसभा भेजा गया था। फिर केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया।