तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा को संसद के शीतकालीन सत्र में निलंबित कर दिया गया था. इस फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. उनकी याचिका पर बुधवार को अदालत में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा महासचिव को नोटिस कर जवाब मांगा है. महासचिव को 2 हफ्ते में जवाब देना होगा. मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी.सुनवाई के दौरान वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, सिर्फ एक आधार पर मेरी मुवक्किल को निष्कासित किया गया. मेरी मुवक्किल को 18 वर्षों तक संसद में रहने का सौभाग्य मिला है।

कोई भी व्यक्ति ऑपरेट करने के लिए सिर्फ पासवर्ड नहीं दे सकता, एक ओटीपी भी सिर्फ मेरे पास आता है. उनको पासवर्ड साझा करने के विरुद्ध किसी भी नियम के बिना निष्कासित कर दिया गया. लागू नियम हैकिंग से संबंधित हैं.वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्हें केवल अपनी लॉगिन आईडी साझा करने के कारण निष्कासित किया गया है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यानी आप स्वीकार करते हैं कि आपकी मुवक्किल ने ओटीपी हीरानंदानी के साथ साझा किया. बता दें कि बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था. उनके आरोपों के बाद लोकसभा स्पीकार ने जांच के लिए एथिक्स कमेटी से जांच कराई, जिसमें वह दोषी पाई गईं।

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