लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की सियासत में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी राजनीतिक बिसात बिछाना शुरू कर दी है. अखिलेश 2024 के चुनाव में अपने गढ़ में बीजेपी को मात देने के लिए नई सोशल इंजीनियरिंग का ताना बाना बुन रहे हैं. मुलायम परिवार की परंपरागत मानी जाने वाली लोकसभा सीटों पर अखिलेश ने अपने ही कुनबे के नेताओं पर भरोसा जताया है, लेकिन उनसे सटी सीटों पर शाक्य समुदाय पर दांव खेलकर बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त तरीके से चक्रव्यूह रच रहे हैं. इस तरह यादव-मुस्लिम-शाक्य समीकरण से क्या सपा अपना दुर्ग बीजेपी से छीन पाएगी?सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सूबे की 31 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जिनमें तीन सीटों पर अपने परिवार के सदस्यों के उतारा है. अखिलेश ने मैनपुरी सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया है, तो फिरोजाबाद से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को टिकट दिया है. बदायूं सीट से सपा ने धर्मेंद्र यादव के दर पर शिवपाल यादव को टिकट दे दिया है. कन्नौज सीट पर अभी प्रत्याशी नहीं घोषित किया, लेकिन धर्मेंद्र यादव को प्रभारी बनाया है. माना जा रहा है कि कन्नौज सीट से अखिलेश यादव चुनावी मैदान में उतर सकते हैं.बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा-आरएलडी के साथ गठबंधन करने के बाद भी सपा अपने परिवार की परंपरागत सीट नहीं बचा सकी थी. मोदी लहर में मैनपुरी सीट से ही मुलायम सिंह यादव जीत सके थे और उनके निधन के बाद डिंपल यादव सांसद बनी हैं. फिरोजाबाद, बदायूं और कन्नौज सीट पर सपा की हार मुलायम परिवार के लिए यह बड़ा सियासी झटका था. इतना ही नहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा इस बेल्ट में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी थी।