जनता दल यूनाइटेड में पहली बार सवर्ण समुदाय के नेताओं का दबदबा बढ़ा है. 2003 में जब जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार ने शरद यादव के साथ मर्जर किया था, तब जेडीयू के टॉप लीडरशिप में पिछड़ों का दबदबा था. शरद यादव पार्टी के अध्यक्ष थे, जबकि नीतीश और जॉर्ज केंद्र में मंत्री. उपेंद्र कुशवाहा को उस वक्त बिहार में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था.2005 में बिहार में सरकार बनी तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनाए गए. शरद यादव का पद जस का तस रहा. शरद यादव 2016 तक जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. 2016 में नीतीश कुमार ने अपने पास यह पद रख लिया.वर्तमान में नीतीश कुमार ही पार्टी के मुखिया हैं. हालांकि, बीच में कुछ सालों के लिए आरसीपी सिंह और कुछ सालों के लिए ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जरूर बने, लेकिन यह पहली बार है जब जेडीयू के बड़े पदों पर सवर्ण समुदाय के नेताओं का दबदबा है. बिहार में सवर्ण समुदाय की आबादी करीब 14 प्रतिशत है।

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