केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मंगलवार (23 मई) को मुलाकात की. इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री आतिशी, सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा और दिल्ली सरकार में भी मौजूद रहे. दरअसल आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश को लेकर केंद्र के खिलाफ अपनी सरकार की लड़ाई में विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं।

केजरीवाल ने कहा कि ये लड़ाई केवल दिल्ली वालों की लड़ाई नहीं है. ये लड़ाई भारतीय जनतंत्र को बचाने की लड़ाई है, बाबा साहेब के दिए संविधान को बचाने की लड़ाई है, न्यायपालिका को बचाने की लड़ाई है. ये लड़ाई देश बचाने की लड़ाई है. इसमें सबके साथ की अपेक्षा करता हूँ. केजरीवाल ने बनर्जी से मिलने से पहले ट्वीट किया, ‘‘आज से देश भर में निकल रहा हूं. दिल्ली के लोगों के हक के लिए. उच्चतम न्यायालय ने बरसों बाद आदेश पारित करके दिल्ली के लोगों के साथ न्याय किया, उन्हें उनके हक दिये। केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर वो सारे हक वापस छीन लिए. जब ये क़ानून राज्यसभा में आएगा तो इसे किसी हालत में पास नहीं होने देना. सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों से मिलकर उनका साथ मांगूंग.”सीएम अरविंद केजरीवाल इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात कर चुके हैं. इस दौरान नीतीश कुमार ने इस मामले में केंद्र के साथ लड़ाई में आप को पूरा समर्थन समर्थन देने का अश्वासन दिया है।

माना जा रहा है कि केजरीवाल बुधवार (24 मई) को मुंबई में उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार से भी मिल सकते हैं. हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में काम कर रहे अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करने का अधिकार केजरीवाल सरकार के पास है, इसको लेकर केंद्र सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के वास्ते 19 मई को अध्यादेश लेकर आई थी. बता दें किसी अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद की मंजूरी मिलना आवश्यक होता है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद के मॉनसून सत्र में इस अध्यादेश से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है।

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