पटना से इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है जो शिक्षक बहाली से जुड़ी है। बिहार में शिक्षकों की बहाली के लिए अगस्त में परीक्षा आयोजित होगी। बीपीएससी ने शिक्षक भर्ती के लिए संभावित कैलेंडर आज जारी किया है। बीपीएसपी ने शिक्षक भर्ती परीक्षा की संभावित तिथि 19, 20, 26 और 27 अगस्त की निर्धारित की है। एक लाख 70 हजार 461 सीटों पर बहाली के लिए बीपीएससी परीक्षा लेगी। बता दें कि शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए एक ही पाली में परीक्षा आयोजित की जाएगी।
पहली कक्षा से लेकर पांचवीं कक्षा तक की परीक्षा एक दिन होगी। वहीं नवमीं से दसवीं के लिए परीक्षा एक दिन होगी। दसवीं से 12वीं के लिए भी परीक्षा एक दिन होगी। गौरतलब है कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के तहत अब बिहार में शिक्षकों की बहाली बीपीएससी के माध्यम से होगी। सभी शिक्षक अभ्यर्थियों को यह परीक्षा देना अनिवार्य कर दिया गया है। लिखित परीक्षा के साथ साक्षात्कार लेने की भी तैयारी की जा रही है। इसी को लेकर शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थियों की तरफ से विरोध किया जा रहा है।
इनका कहना है कि नयी नियमावली के आने से नियोजित शिक्षकों की अनदेखी की जाएगी। वहीं, विरोध कर रहे शिक्षकों की मांग है कि 2023 नियमावली को बदलना होगा। समान काम का समान वेतन देना होगा। उनका कहना है कि हम लोग बीपीएससी परीक्षा देने को तैयार हैं, लेकिन 15-16 साल से हम लोग नौकरी कर रहे हैं उसका क्या? हम इतने साल काम करके फिर से परीक्षा क्यों दें?
शिक्षका का कहना है कि, जो शिक्षक नियमावली 2023 आई है वह पहले से पढ़ा रहे टीचरों पर लागू नहीं होना चाहिए। मालूम हो कि, राज्य सरकार के तरफ से यह एलान किया गया है कि 2005 से अब तक जितने नियोजित शिक्षक हैं। अगर वे बीपीएससी परीक्षा पास कर भी जाते हैं तो उनकी गणना नए शिक्षक की तरह की जाएगी। अब तक जो सेवा नियोजित शिक्षक के रूप में की है, उसे उनके सर्विस में नहीं जोड़ा जाएगा। शिक्षकों की मांग है कि सरकार नई शिक्षक नियक्ति नियमावली वापस ले, साथ ही बिना किसी शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे।
इसी मांग को लेकर पटना में शिक्षक सैकड़ों की संख्या में सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। राज्य सरकार ने हाल ही में आंदोलन करने वाले शिक्षकों को यह चेतावनी दी थी कि अगर कोई शिक्षक धरना प्रदर्शन में शामिल होता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सरकार की चेतावनी के बावजूद शिक्षक अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध किया। जिसके बाद राज्य सरकार को यह फैसला लेना पड़ गया।