देश में हर दिन कोई न कोई ऑनलाइन ठगी का शिकार हो हीं जाता है।साइबर फ्रॉड का मामला अब बिहार से भी बहुत अधिक संख्या में आने लगा है क्योंकि बिहार राज्य में रहने वाले सीधे साधे लोग किसी न किसी दिन साइबर अपराधियों के चुंगल में फंस हीं जाते हैं।हरेक दिन लोग ठगो के झांसे में आकर अपना मेहनत का कमाई का लाखों रुपया ऑनलाइन फ्रॉड के जरिए गंवा दे रहे हैं। वहीं ठगी के शिकार कई लोगों की किस्मत अच्छी भी देखने को मिल जाती है क्योंकि बहुत ऐसा मामला है सामने आया है जिसमे लोगो से फ्रॉड के जरिए ठगे गए 2.12 करोड़ से अधिक रुपए EOU के टीम के तरफ से बचा लिए गए है।जितना भी ठगी का मामला सामने आया है उसमे लोगो से रुपए ठगने के लिए साइबर अपराधियों ने अलग-अलग तरीके का झांसा दिया था।
बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वो तो साइबर अपराधियों की ठगी के शिकार हो गए हैं। तो फिर तुरंत उन्होंने हेल्पलाइन नंबर 1930 की मदद लेते हुए इस नंबर पर कॉल किया और अपने साथ हुए साइबर फ्रॉड की जानकारी दी फिर तब जाकर आर्थिक अपराध इकाई की साइबर सेल की टीम एक्टिव होते हुए पीड़ित व्यक्ति से फोन पर ही बातचीत कर सारी जानकारी हासिल की और जिस बैंक अकाउंट में सबसे पहले रुपए ट्रांसफर कराए गए थे उससे कांटेक्ट किया और लाखों रुपयों को EOU के तरफ से बचा लिया गया। इस तरह से अकेले मार्च महीने की बात किया जाए तो EOU की टीम ने कुल 2 करोड़ 12 लाख 11 हजार 360 रुपए साइबर अपराधियों के हाथ में जाने से बचा लिया है।आपको बताते चले की EOU के अनुसार साइबर अपराधी किसी भी नाम से एक फर्जी वेबसाइट बना ले रहे हैं।
जिसके जरिए ऑनलाइन टारगेट वर्क का झांसा देते हैं। इसके लिए वो पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को टारगेट करते हैं। कांटेक्ट में आए युवाओं को साइबर अपराधी सबसे पहले एक हजार रुपए लेकर एक लॉगिन बनाते हैं।फिर एक वीडियो दे कर लाइक और फॉरवर्ड का टास्क देते हैं। इंवेस्ट किए गए 1 हजार को डबल करने का झांसा देते हैं। फिर उसके पैसे को ठग लेते है उसके बाद उसे ब्लॉक कर देते है।हालांकि ठगी के शिकार हुए लोग खुद चाहें तो नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं। नहीं तो 1930 पर कॉल भी करके सारी जानकारी साझा कर सकते है।EOU का कहना है की यदि कोई भी साइबर फ्रॉड से पीड़ित व्यक्ति कॉल करते है तो उससे हमारी टीम उनका नाम और पता पूछती है। घटना किस तरह की है? उसके बारे में पूछते हैं। साइबर फ्रॉड होने पर तुरंत फॉर्म भरते हैं। बैंक से बात करते हैं। यदि ठगी होने के 3 घंटे के अंदर कोई भी जानकारी देता है तो उसके रूपए का बचाने का चांस अधिक बन जाता है।हालांकि सरकार के तरफ से लगातार साइबर फ्रॉड को लेकर आम जन में सतर्कता बरतने को लेकर जागरूकता फैलाया जा रहा है।