अमेठी लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। 2024 का चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है। अमेठी पाने व रायबरेली बचाने को लेकर कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा के साथ ही राहुल गांधी व कांग्रेस की बेचैनी बढ़ने लगी है। दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने चुपचाप अपना होमवर्क भी शुरू कर दिया है। अब से लेकर आम चुनाव तक की पूरी रणनीति के साथ जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है। इसी के साथ गांव-गांव माहौल बनाने का काम भी शुरू हो गया है।
अमेठी-रायबरेली में कांग्रेस की टीमें जमीनी हकीकत जाननेेे के काम में लगी हुई हैं। कांग्रेस हाई कमान भी बदले हुए हालात से पूरी तरह से वाकिब है। अमेठी में 2019 में राहुल गांधी की हार व उसके बाद 2022 विधान सभा चुनाव में अमेठी के साथ ही रायबरेली की सभी 10 सीटों के हाथ से निकल जाने के बाद अब परिवार यहां फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। आम चुनाव 2024 में उतरने से पहले वह इन दोनों सीटों का समीकरण अपने अनुकूल दुरुस्त करने की कोशिश में है।कांग्रेस अमेठी-रायबरेली में लोगों के बीच यह जताने की कोशिश कर रही है कि गांधी परिवार के साथ सरकार लगातार ज्यादती कर रही है। राहुल गांधी की संसद सदस्यता छिनने के बाद उनके सरकारी आवास को खाली करने की नोटिस पर यहां मेरा घर-राहुल का घर कैंपेन पूरे जोर-शोर से चलाया गया।राहुल-प्रियंका चाहकर भी अमेठी-रायबरेली में पूरा समय नहीं दे सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस ने यहां पहले से उनका काम देखने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सलाहकार राजेश तिवारी व प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय को लगाया है। दोनों ही यहां सक्रिय हो गए हैं।
कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि राहुल गांधी को कोर्ट से राहत मिल जाएगी। गांधी परिवार से जुड़े लोगों की माने तो वह सोनिया गांधी के चुनाव मैदान में नहीं उतने की स्थिति में रायबरेली से मैदान में होंगे। प्रियंका को अमेठी से उतारने की बात चल रही है। अमेठी-रायबरेली सीट परिवार हर हाल में अपने पास रखना चाहता है।कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप सिंघल कहते हैं कि अमेठी-रायबरेली सीट परिवार अपने पास ही रखेगा। राहुल भइया व प्रियंका दीदी को पहले ही यहां आना था, लेकिन हर दिन बदलते घटनाक्रम के चलते वह नहीं आ पाए। कभी भी वह यहां आ सकते हैं। अमेठी हमेशा कांग्रेस की रही है और आगे भी रहेगी।