जब तक रामविलास पासवान जीवित थे तब तक दलितों के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ने का काम किया था।एक तरफ अब दलितों का नेता चिराग पासवान बनते हुए दिखते है तो दूसरी तरफ उनके चाचा व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस अपने आप को दलितों का नेता समझते है।हालांकि इस समय चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच आज क्या रिश्ता है यह किसी भी व्यक्ति से छुपा हुआ नहीं है। अभी समय ऐसा आ गया है की चाचा – भतीजा एक दूसरे का नाम लेने का छोड़िए एक दूसरे का नाम भी सुनना नहीं चाहते है।

पटना में आज पशुपति पारस के ओर से बुलाई गई एक बैठक में ऐसे हीं नजारा देखने को मिला। जब पशुपति पारस अपने हीं भतीजा चिराग का नाम लेने पर इस कदर भड़क गए कि लोगो को ऐसा लगने लगा की मंत्री जी अपना आपा खो दिए है।उसके बाद मंत्री जी ने यह तक कह डाला कि जब उसने बोल दिया कि उसका खून अलग है मेरा अलग तो वो कैसे मेरा भतीजा होगा। इसलिए आगे से उसका नाम तक नहीं लिगियेगा मेरे पास।दरअसल जब पशुपति पारस से सवाल किया गया कि राजद के तरफ से दी जा रही इफ्तार पार्टी में चिराग पासवान जा रहें हैं आप नहीं जा रहे ऐसा क्यों तो पशुपति पारस ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा की – अरे यार चिराग पासवान की बात मत करो। हमारी बात करो, एनडीए की बात करो।

चिराग पासवान कहां जा रहा है नहीं जा रहा है उससे हमको क्या मतलब है।इसके बाद दूसरा सवाल उनसे किया गया कि अमित शाह कह रहे हैं कि भाजपा 40 सीटों पर तैयारी कर रही है तो आपकी जगह फिर कहां है। तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि शायद आपको पता नहीं है कि बिहार में 40 सीटों पर भाजपा तैयारी कर रही है तो भाजपा का मतलब एनडीए गठबंधन होता है। यह समझिए और दिमाग खोलकर समझिए। बेकार का दिमाग मत लगाइए बिहार में एकमात्र सहयोगी दल है वह हमारी पार्टी है और हमारी पार्टी और भाजपा का गठबंधन है और यह गठबंधन जिंदगी भर रहेगा। 2014 में मेरा गठबंधन हुआ था भाजपा से और मैं यह घोषणा किया हूं कि जब तक राजनीति में जिंदा रहूंगा भाजपा के साथ गठबंधन में रहूंगा।

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