17-18 जुलाई देश की राजनीति के लिए मायने रखने वाले हैं। राजनीति का भविष्य कैसा होगा, किस करवट बैठेगा; इसके लक्षण दिखने शुरू हो चुके हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास से देशभर के भाजपा विरोधी दलों के महाजुटान के दूसरे चरण में 17-18 जुलाई को बेंगलुरु की बैठक से शरद पवार के पैर खींचने की खबर मायने रखेगी। लेकिन, सिर्फ ऐसा नहीं कि वहीं सिरफुटौव्वल है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बैठक के पहले भी इसी तरह की खींचतान सामने आ रही है। फिलहाल यह खबर बिहार से है। एनडीए की इस बैठक में जिन नेताओं को बुलावा मिला है या जो मोदी-समर्थन में नजर आ रहे हैं, उन्हें लेकर एक केंद्रीय मंत्री और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने नाराजगी दिखा दी है।

पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस बेहद परेशान हैं। दिवंगत रामविलास पासवान के भाई का पूरा कुनबा गुत्थमगुत्था हो रहा है। पारस को दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे और जमुई के सांसद चिराग पासवान की एनडीए में एंट्री से परेशानी है। 8 जुलाई को जब एनडीए ने चिराग को हरी झंडी दिखाई, तभी ‘अमर उजाला’ ने पहले यह जानकारी लायी थी कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने वाली है। इसके साथ ही यह भी स्टोरी लायी थी कि भाजपा को चाचा-भतीजा के बीच पंचायत जैसी समझौता बैठक करानी होगी। भाजपा ने वह समझौता बैठक नहीं कराई, जिसका नतीजा है कि पारस गरमाए हुए हैं। उन्होंने बैठक के लिए दिल्ली जाने से पहले अपने संसदीय क्षेत्र हाजीपुर में कहा कि वह और चिराग साथ नहीं रहेंगे। भाजपा से गठबंधन है, लोजपा (रामविलास) के साथ सीधे कोई जुड़ाव नहीं होगा। दूसरी तरफ, चिराग पासवान बैठक के दो दिन पहले ही पटना से दिल्ली लौट चुके हैं। उन्होंने पटना में रहते हुए भी मीडिया से इस मुद्दे पर बात नहीं की।इधर, एनडीए सरकार में ही केंद्रीय राज्यमंत्री रह चुके उपेंद्र कुशवाहा भी नाराज हैं। मोदी पक्ष या मोदी विरोध के सवाल पर वह भले कह रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी का विकल्प नहीं है।

लेकिन वह बिहार के ही कुशवाहा नेता नागमणि की एनडीए में एंट्री से नाराज हैं। 18 जुलाई को वह दिल्ली में हो रही एनडीए की बैठक में जा रहे हैं या नहीं, इस सवाल पर एक दिन पहले पटना में कहा- “बुलावा आया है। जाएंगे या नहीं, यह पहले से नहीं बताएंगे। जाना होगा तो जाएंगे, फिर पता चल ही जाएगा। नहीं जाएंगे तो भी पता चल ही जाएगा।” जनता दल यूनाईटेड (JDU) से मुक्त होकर राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) का गठन करने के बाद ही उनके लिए सिर्फ एनडीए का रास्ता बचा था। उन्होंने एनडीए के साथ होने की बात कही भी, लेकिन पिछले दिनों नागमणि की भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद से उपेंद्र कुशवाहा के तेवर बदले हुए हैं। वह विकल्पहीन दिख रहे हैं, लेकिन स्वजातीय नेता नागमणि की एंट्री से गुस्से में हैं। नागमणि ने एनडीए में जाने की घोषणा ही नहीं की, बल्कि उपेंद्र कुशवाहा की पसंदीदा काराकाट संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव में उतरने की इच्छा भी जता दी थी।

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