बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार भी इस पर दांव खेलने की तैयारी में है, ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस जातीय जनगणना को अपने चुनावी वादे में शामिल कर सकती है, इसके अलावा सरकार ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर भी विचार कर रही है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि गहलोत सरकार चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले ही इसका ऐलान कर सकती है.राजस्थान में लंबे समय में ओबीसी की कुछ जातियां ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग कर रही हैं. इसके अलावा जातीय जनगणना की मांग भी लगातार हो रही है, ऐसे में गहलोत सरकार में इसे लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. ये ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि राजस्थान में जल्द ही चुनावों का ऐलान हो सकता है, ऐसे में जातीय जनगणना के लिए तो गहलोत सरकार के पास वक्त नहीं है, इसलिए इस वादे को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया जा सकता है, लेकिन ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की घोषणा आचार संहिता लागू होने से पहले की जा सकती है. राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप खाचरियावास का बयान भी इसकी पुष्टि करता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राजस्थान सरकार राहुल गांधी की राय के साथ है.राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पिछली 9 अगस्त को बांसवाड़ा की एक जनसभा में जातीय जनगणना करवाने और ओबीसी आरक्षण की सीमा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत तक करने का ऐलान किया था।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर इसे लेकर एक पोस्ट भी किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि ओबीसी आरक्षण 6 फीसदी बढ़ाया जाएगा, लेकिन इसमें अति पिछड़ी जातियों को शामिल किया जाएगा. इसके बाद राजस्थान में जाट भड़क गए थे, जाट नेता राजाराम ने गहलोत की इस पोस्ट पर कहा था कि यदि सरकार ने बढ़ा आरक्षण सिर्फ अति पिछड़ी जातियों को दिया तो ये ओबीसी को बांटने की एक साजिश की तरह होगा. इसे जाट मंजूर नहीं करेंगे. हालांकि उन्होंने जातीय जनगणना का स्वागत किया था।सीएम अशोक गहलोत के इस ऐलान के बाद जातीय जनगणना पर कांग्रेस के नेताओं में मतभेद दिखे थे. अगस्त माह में ही जयपुर में आयोजित बैठक में कांग्रसे नेता रघु शर्मा ने इसका विरोध किया था. इसके बाद सीएम गहलोत ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था. हालांकि राजस्थान में चुनावों को देखते हुए ओबीसी वर्ग को लुभाने के लिए एक बार फिर ये दोनों मुद्दे जिंदा किए जा रहे हैं, क्योंकि राजस्थान में ओबीसी नेता लगातार ये दावा करते रहे हैं कि प्रदेश में उनकी संख्या 50 प्रतिशत से ज्यादा है, लेकिन आरक्षण की सीमए सिर्फ 21 फीसदी ही है.केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जातीय जनगणना पर सवाल उठाया है, उन्होंने कहा है कि – ‘सबका साथ सबका विकास हमारा मूल मंत्र है’ उन्होंने पूछा कि – जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण कराया गया था, लेकिन उसके आंकड़े अब तक जारी क्यों नहीं किए गए. अब वह किस मुंह से बात कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2014 के बाद गरीबों की स्थिति सुधरी है, साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपरआए हैं, हम लगाजार जनता को आर्थिक और सामाजिक संबल दे रहे हैं।