देश के कई राज्यों में हिजाब को लेकर छिड़ा विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इस बीच हिजाब का ये विवाद रूप बदल कर कश्मीर पहुंच गया है. कश्मीर में कई छात्राओं ने गुरुवार (8 जून) को ‘अबाया’ पहनकर स्कूल में प्रवेश न मिलने पर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया. इस मामले पर कई राजनीतिक बयान सामने आ चुके हैं.ये मामला श्रीनगर के रैनावाड़ी इलाके के विश्व भारती महिला कॉलेज में कई छात्राओं को ‘अबाया’ पहनने पर प्रवेश से रोकने का है. छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए प्रदर्शन किया. छात्राओं का आरोप है कि उन्होंने ‘अबाया’ पहना था, जिसकी वजह से स्कूल में प्रवेश करने से रोक दिया गया।
पीटीआई की खबर के मुताबिक, छात्राओं ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन ने उन्हें कहा कि वे ‘अबाया’ पहनकर स्कूल का माहौल खराब कर रही हैं. वहीं स्कूल की प्रिंसिपल मेमरोज शफी ने कहा कि छात्राओं को कहा गया है कि वे घर से स्कूल तक अबाया पहन सकती हैं, लेकिन स्कूल परिसर में उन्हें इसे उतारना होगा. उन्होंने कहा, ‘हमने उन्हें लंबा सफेद रंग का हिजाब पहनने या बड़ा दुपट्टा रखने के लिए कहा, क्योंकि यह स्कूल की वर्दी का हिस्सा है. वे अलग अलग डिजाइन वाले रंगीन अबाया पहनकर आ गईं जो स्कूल की वर्दी का हिस्सा नहीं है।
आमतौर पर मुस्लिम महिलाएं हिजाब, बुर्का और अबाया परिधान पहने नजर आती हैं. मुस्लिम महिलाएं हिजाब को सिर ढकने के लिए इस्तेमाल करती हैं. वहीं, बुर्का सिर से लेकर पैर तक पूरे शरीर को ढकता है. इसमें सिर्फ आंखें ही खुली होती हैं. इसी तरह अबाया भी एक लंबी पोशाक है, जो शरीर को कंधे से लेकर पैर तक ढकता है. ये काफी ढीला-ढाला परिधान होता है, जिसे मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं.कर्नाटक के उडुपी में 31 दिसंबर 2021 को एक सरकारी कॉलेज में हिजाब पहनकर आने वाली 6 मुस्लिम छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया था. जिसके बाद कॉलेज के बाहर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया था. एक महीने तक बैठकों का दौर जारी रहा, लेकिन विवाद हल नहीं हुआ. इस बीच उडुपी के विधायक रघुपति भट ने कहा था कि जो छात्राएं बिना हिजाब के नहीं आ सकतीं, वो ऑनलाइन पढ़ाई करें.धीरे-धीरे हिजाब विवाद पूरे कर्नाटक में फैलने लगा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर विपक्ष के तमाम नेताओं ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं के अधिकारों के दमन की बात कही. फरवरी में कर्नाटक की कई जगहों पर झड़पों और हिंसा की खबरें सामने आने लगीं. इसी बीच कर्नाटक में राज्य सरकार ने कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 की धारा 133(2) को लागू कर दिया. जिससे सभी के लिए ड्रेस कोड तय कर दिया गया.हिजाब विवाद कुछ ही समय में कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंच गया था. हाईकोर्ट ने लगातार इस मामले पर सुनवाई कर फैसला देते हुए माना था कि हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं माना जा सकता है. इस फैसले के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने इस पर खंडित फैसला दिया था. जिसके बाद ये याचिका बड़ी बेंच के पास गई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी जल्द सुनवाई की बात कही थी. हालांकि, ये मामला अभी तक लंबित है।