बिहार में कांग्रेस के महिला विंग के नये प्रदेश का एलान कर दिया गया है. डॉ.शरबत जहां फातिमा को बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है. कांग्रेस ने आज बिहार समेत देश के पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा और राजस्थान में महिला कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष का मनोयन किया है. कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल की ओर से जारी पत्र में लाल थांतिया कुमारी को आंध्र प्रदेश, शाइमा रैना को जम्मू-कश्मीर, शरबनी घोष चक्रवर्ती को त्रिपुरा और राखी गौतम को राजस्थान का महिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत किये जाने की जानकारी दी गयी है. बिहार में अब तक अमिता भूषण प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष पद संभाल रही थी. हालांकि अखिलेश सिंह के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद अमिता भूषण ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. अब कांग्रेस ने उनके इस्तीफे को स्वीकार करते हुए नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की है.बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने बिहार में अपने विधायक दल के नेता पद से अजीत शर्मा को हटाकर शकील अहमद खान को कुर्सी सौंपी थी. अब प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर भी मुसलमान को बिठा दिया गया है. जाहिर है कांग्रेस बिहार में मुसलमानों पर ज्यादा ध्यान दे रही है. सियासी हलके में सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार कांग्रेस की इस राजनीति का मतलब क्या है.अमूमन कांग्रेस की ये परंपरा रही है कि किसी जाति-वर्ग का अगर कोई प्रमुख पद पर बैठा होता है तो उसी जाति से किसी दूसरे को कोई अन्य अहम पद नहीं दिया जाता है. इसी नीति के कारण अखिलेश सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता पद से अजीत शर्मा को हटा दिया गया था।
दोनों एक ही जाति से आते हैं. लेकिन मुसलमानों को लेकर कांग्रेस ने अपने ही बनाये नियम को तोड़ा है. जानकारों की मानें तो कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार कर रही है. कांग्रेस का आलाकमान उस स्थिति को भी सोंच कर फैसला कर रहा है, जब अगले लोकसभा चुनाव में उसका तालमेल राजद या जेडीयू से नहीं हो पाये. 16 सांसदों वाले जेडीयू के महागठबंधन में आने के बाद इस गठजोड़ के समीकरण बदल गये हैं. कांग्रेस समझ रही है कि जेडीयू के महागठबंधन में शामिल होने के बाद अगले लोकसभा चुनाव की सीट शेयरिंग में उसे किनारे लगाने की कोशिश हो सकती है. बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजद की अगुआई वाले महागठबंधन में 9 सीटें ली थी. कांग्रेस आलाकमान इस बार भी कम से कम पिछले चुनाव जितनी ही सीट चाह रहा है. नीतीश के आने के नाम पर कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा एक-दो सीटों पर समझौता कर सकती है. लेकिन सात से कम सीटों पर कांग्रेस के लड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता. ऐसे में महागठबंधन में टकराव होना तय है. तभी कांग्रेस आगे की तैयारी कर रही है. अगर महागठबंधन में फूट पड़ती है तो कांग्रेस की पकड़ मुसलमान वोटरों पर बनी रहे।