उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में बाबा योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर का जादू चल गया. निकाय चुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को बड़ी मात दी है. बीजेपी ने क्लीन स्वीप कर मेयर की सभी 17 सीटों पर कब्जा जमा लिया. योगी साल 2017 में यूपी के मुख्यमंत्री बने, तब से यूपी में बीजेपी का जलवा कायम है. इस बार भी यूपी जनता ने सपा, बसपा और कांग्रेस को नकार दिया है।
यूपी में राजनीति के साथ माफिया का गठजोड़ दशकों पुराना है. योगी ने अपने कार्यकाल में इस गठजोड़ को तोड़ने की पूरी कोशिश की. उन्होंने राज्य में माफिया राज के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई. इसका असर यह हुआ कि उमेशपाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी अतीक अहमद के पूरे परिवार पर पुलिस का शिकंजा कस गया. वहीं, माफिया मुख्तार अंसारी समेत 40 माफिया जेल में हैं. इन माफियाओं की हजार करोड़ की संपत्ति भी जब्त हो गई।
योगी ने विधानसभा में सौगंध खाई थी कि यूपी के माफियाओं को मिट्टी में मिला दूंगा. इस बयान ने बीजेपी के चुनाव प्रचार में बड़ी छाप छोड़ी।सूबे में बीजेपी की शत-प्रतिशत जीत के पीछे सीएम योगी की कड़ी मेहनत है. यूपी का निकाय चुनाव 2024 का लिटमस टेस्ट है, क्योंकि साल 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं. इसलिए सीएम योगी ने खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाली. बीजेपी के सबसे फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ चुनावी रैलियों में इस तरह बरसे कि नतीजों के दिन से पहले ही बीजेपी की जीत पक्की हो गई।
योगी के अलावा दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और ब्रजेश पाठक भी जोर शोर से प्रचार में जुटे रहे।ऐसा लग रहा था जैसे समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव से पहले ही हार मान ली. माया तो कहीं दिखी नहीं, अखिलेश ने भी चुनाव प्रचार कर खानापूर्ति की. जबकि इसके उलट सीएम योगी ने चुनाव प्रचार में पूरी जान लगा दी. वह विपक्ष पर टूट पड़े, जिसके बाद चारों ओर सिर्फ योगी-योगी का नारा गूंजा।