समान नागरिक संहिता को लेकर लॉ कमीशन ने धार्मिक संगठनों, लोगों और हितधारकों से विचार मांगे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर दिए गए बयान के बाद देशभर में सियासत शुरू हो गई है. इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार (27 जून) को रात आठ बजे यूसीसी को लेकर बैठक बुलाई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मीटिंग वर्चुअल तरीके से करेगा. बोर्ड ने बताया कि वो केंद्र सरकार की मंशा और तैयारियों पर चर्चा करेगा. इसके अलावा वो अपने अगले कदम को लेकर भी ऐलान कर सकता है. बोर्ड ने सोमवार (26 जून) को कहा था कि यूसीसी को रोकना उनके मुख्य उद्देशय में से एक है. पीएम मोदी ने मंगलवार (27 जून) को भोपाल में कहा कि यूसीसी पर विपक्षी दल लोगों को भड़का रहा है।

एक ही घर में दो कानून कैसे हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट भी बार-बार कह चुका है कि यूसीसी लाओ, लेकिन विपक्षी दल वोट बैंक के लिए इसका विरोध कर रहे हैं. यूसीसी का जिक्र संविधान में भी किया गया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद फ़ज़ल-उर-रहीम मुजद्दिदी साहब ने बोर्ड अपनी स्थापना से ही समान नागरिक संहिता का विरोध करता रहा है. दुर्भाग्यवश सरकार और सरकारी संगठन इस मुद्दे को बार-बार उठाते हैं. मुहम्मद फ़ज़ल-उर-रहीम मुजद्दिदी साहब ने आगे कहा कि भारत के विधि आयोग ने 2018 में भी इस विषय पर राय मांगी थी. बोर्ड ने एक विस्तृत जवाब दाखिल कर कहा था कि यूसीसी संविधान की भावना के विरुद्ध है. इससे नुक़सान होने का डर है. कांग्रेस ने यूसीसी को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो ऐसा अपनी असफलता छुपाने के लिए कर रही है. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पीएम मोदी नौकरी देने का वादा नहीं कर पा रहे तो ऐसा कर रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू भी कह रही है कि यूसीसी पर सभी लोगों को विश्वास में लेने की जरूरत है।

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