बिहार में पिछले कुछ महीनों से सड़क हादसों के मामलों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। राज्य के अंदर शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता हो जिस दिन सड़क हादसों की वजहों से लोगों को कठनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। इस दौरान सबसे बड़ी समस्या जो देखने को मिलती है वो है समय पर मरीज को हॉस्पिटल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पाना और दूसरी घटनास्थल में अस्पताल की दूरी अधिक होना। लेकिन, अब सरकार से इस समस्या के समाधान को लेकर एक नया फैसला लिया है। दरअसल, प्रदेश में दुर्घटना से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक 50 किमी पर एक एंबुलेंस की व्यवस्था करेगा। साथ ही प्रति सौ किमी के दायरे में एक ट्रामा सेंटर भी स्थापित किया जाएगा।

ट्रामा सेंटर की घोषणा स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने 22 मार्च को विधानसभा में की थी। यह ट्रामा सेंटर मल्टीपल फ्रैक्चर के इलाज के साथ दूसरे गंभीर मामले में जीवन रक्षक उपकरणों से लैस रहेंगे। वहीं, सड़क सुरक्षा को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सभी सिविल सर्जन और मेडिकल कालेज अस्पतालों के अधीक्षक का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित की जाएगी। इस प्रशिक्षण के दौरान घायल व्यक्ति या समूह की किस प्रकार जीवन रक्षा की जा सकती है इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रति 50 किमी पर एक एंबुलेंस की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए गए। प्रशिक्षण के क्रम में जानकारी दी जायेगी कि राज्य के सभी अस्पतालों को इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस पर सूचीबद्ध किया जाएगा। इसमें सरकारी के साथ निजी अस्पतालों को शामिल किया जाएगा।आपको बताते चलें कि, पहले चरण में सभी जिला अस्पताल सूचीबद्ध होंगे। अस्पतालों के सूचीबद्ध होने का यह लाभ होगा कि दुर्घटना में घायल अगर आयुष्मान भारत से जुड़ा है जो उसका उसका मुफ्त इलाज होगा। अन्य बीमा कंपनी से जुड़ा है तो उसका भी लाभ मिलेगा। अगर किसी स्थान पर बार-बार दुर्घटना होती है तो ब्लैक स्पाट चिह्नित किए जाएंगे।

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