शराबबंदी को लेकर आजकल बिहार में खूब राजनीति हो रही है।बीते दिन जिस तरीके मोतिहारी जिला में जहरीली शराब पीने से अभी तक 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।उसके बाद सरकार के ऊपर विपक्षी पार्टी के नेताओं के तरफ से खूब दबाव बनाने की कोशिश किया जा रहा है।दरअसल में आज बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जहरीली शराब पीने से मरने वालों के परिजनों को केवल मुआवजा देने से काम नहीं चलेगा। शराबबंदी कानून के तहत बंद लोगों को जेल से रिहा भी करना होगा। इससे जेल में बंदियों का अतिरिक्त दबाव कम होगा।आज राजधानी पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि सरकार शराबबंदी के बाद जहरीली शराब कांड के करीब 30 मामले बता रही है। जबकि यह आंकड़ा कम से कम 60 से ऊपर होगा। केवल एक मामले में किसी शराब माफिया पर एक्शन हुआ। अन्य किसी मामले में किसी भी शराब माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम व बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। बिहार के विभिन्न जेलों में बंद 25 हजार लोगों को रिहा करने की मांग सरकार से उन्होंने की।
कहा कि शराबबंदी से जुड़े 3 लाख 61 हजार मुकदमे वापस लिये जाए। शराब पीने से जिनकी मौत हुई है उनके परिजनों को सरकार 4-4 लाख रुपये दे रही है। इस बात की घोषणा कल नीतीश कुमार ने किया है। सुशील मोदी ने सरकार के समक्ष यह भी मांग रखी है कि जहरीली शराब पीने से जिन लोगों की आंखों की रोशनी चली गयी है उन लोगों को भी दो लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए। सभी 500 परिवारों को ब्याज सहित मुआवजा मिले। वही शराब मामले में गिरफ्तार लोगों को अलग जेल में रखा जाए।बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी इस दौरान नीतीश कुमार पर भी हमलावर दिखे। कहा कि ‘जो पिएगा, वह मरेगा’ जैसी टिप्पणी के लिए मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए। भाजपा के दबाव के आगे आखिरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि मुआवजे की घोषणा का पूरा श्रेय भाजपा को जाता है। सरकार 30 मामलों में 196 मृत्यु की बात स्वीकार कर रही है। सरकार 2019, 2020 में शून्य मृत्यु की बात कह रही है। भाजपा के अनुसार मरने वालों की संख्या 500 से ज्यादा है। Bihar Prohibition & Excise Act 2016 की धारा 42 में 4 लाख मुआवजा का प्रावधान है। इसी धारा में गंभीर रूप से बीमार को 2 लाख रुपया और अन्य पीड़ित को 20 हजार रुपया का प्रावधान है और जिनकी आंखें चली गई या जहरीली शराब पीने से विकलांग हो गए उन्हें भी 2 लाख रुपया का मुआवजा मिलना चाहिए। मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया में पोस्ट मार्टम, चिकित्सा प्रमाण पत्र, शराब विक्रेता का नाम आदि जैसी शर्तें नहीं होनी चाहिए। मुआवजे का भुगतान विलंब से करने के कारण ब्याज सहित मुआवजा दिया जाए।
शराबबंदी के दौरान करीब 3.61 लाख प्राथमिकी दर्ज की गयी। 5 लाख 17 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया। 25 हजार लोग अभी भी जेल में बंद है। बंदियों में 90% एससी/एसटी/इबीसी हैं। सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश सरकार को आम लोगों से माफी मांगना चाहिए और सभी मुकदमे वापस लेना चाहिए। जेलों में बंद 25 हजार से ज्यादा लोगों को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। शराब मामले में गिरफ्तार लोगों को अलग जेल में रखा जाए।किसी माफिया को आज तक सजा नहीं हुई है। 6 वर्षों में जहरीली शराब की घटनाओं के लिए दोषी एक भी व्यक्ति को सजा नहीं हुई। 2016 में 19 मृत्यु के पश्चात सजा प्राप्त लोगों को पटना उच्च न्यायालय ने मुक्त कर दिया। आजतक स्पेशल कोर्ट का गठन नहीं किया गया। सीएम स्पीडी ट्रायल की बात करती रही है? सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में नाम मात्र की शराबबंदी है। नीतीश कुमार की शराबबंदी पूर्णरूपेण विफल साबित हो रही है। केवल नाम मात्र की शराबबंदी बिहार में है। शराबबंदी की मरी लाश को सरकार ढो रही हैं।इन तमाम मांगो को पूरा करने के लिए आज सुशील मोदी ने प्रेस कान्फ्रेस करके अपनी मांगोंब को नीतीश सरकार तक पहुंचाने का कोशिश किया है।