नेता विजय कुमार सिन्हा ने विपक्षी एकता की बैठक पर शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि बैठक में नेताओं के उदास, भयभीत और उत्साहहीन चेहरे यह बताने के लिए काफी है कि विपक्षी एकता आकार लेने से पूर्व ही धराशायी होने वाला है. साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल, भगवंत मान और एम के स्टालिन तीनों मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति यह दर्शाता है कि शुरू होने से पहले एकता की गाड़ी की हवा निकल गई.विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि विपक्षी दलों और नेताओं में विरोधाभास और एकजुटता का अभाव इस बैठक में दिख रहा था. इनके चेहरे पर न तो मुस्कराहट थी और न ही उमंग था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत स्वार्थ और महात्वकांक्षा की वजह से इस बैठक की कवायद की है लेकिन उनका मकसद इस जन्म में पूरा होने वाला नहीं है. इस राजनीतिक बैठक के लिए राज्य सरकार ने अपना खजाना खोल दिया था. महागठबंधन में शामिल सभी दलों को अपनी-अपनी पार्टी के फंड से इसका इंतेजाम करना चाहिए था. राज्य सरकार इस बैठक में सरकारी खजाने से व्यय लोकधन का आंकड़ा सार्वजनिक करे.नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बैठक के बाद बिहार में आरजेडी और जेडीयू के बीच होने वाला शीत युद्ध अब सार्वजनिक होने वाला है. सरकार में सबसे बड़ा दल रहने के बावजूद आरजेडी को कांग्रेस से कम आंका जा रहा है. नीतीश कुमार आरजेडी को कई बार धोखा दे चुके हैं.विजय सिन्हा ने कहा कि सभी विपक्षी नेताओं ने पटना पहुंचते ही लालू प्रसाद के पास हाजिरी दी. सजायाफ्ता लालू यादव ही देश के इन नेताओं के रोल मॉडल हैं. नीतीश कुमार को किसी नेता के द्वारा कोई भाव नहीं दिया गया. लालू यादव की योजना के तहत इन्हें संयोजक बनाने की बात हो रही है ताकि बिहार की गद्दी को तेजस्वी यादव को सौंपकर फिर से बिहार में जंगल राज और गुंडाराज स्थायी रूप से कायम हो सके।

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