आज चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है।साथ हीं आज चैत्र पूर्णिमा का स्नान दान भी है।इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप मिटते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।स्नान के बाद वस्त्र, अन्न, फल आदि का दान किया जाता है।पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण भगवान की कथा सुनते हैं।चंद्रमा और माता लक्ष्मी की भी पूजा का विधान है।चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए आज हनुमान जयंती है। इस दिन व्रत रखते हैं और हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है।

हनुमान जी को लाल रंग अतिप्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में लाल रंग के फूलों का उपयोग किया जाता है।हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंगबाण का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।उनको लड्डू, बूंदी, जलेबी, इमरती, गुड़, चुना आदि का भोग लगाया जाता है।हनुमान जी की विशेष कृपा पाने के लिए उनको सिंदूर का चोला चढ़ाते हैं। लाल रंग का लंगोट अर्पित करते हैं और हनुमान जी के ध्वज को घर पर लगाया जाता है। हनुमान जयंती के अवसर पर आज के दिन सभी हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ होता है।

आज गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति की पूजा के लिए समर्पित होता है।इस दिन केले के पौधे की भी पूजा करते हैं।विष्णु पूजा करने से विवाह का योग बनता है, दांपत्य जीवन खुशहाल होता है,गुरु दोष दूर होता है।आज के पंचांग से जानते हैं सूर्योदय, चंद्रोदय, शुभ मुहूर्त, शुभ योग, दिशाशूल, राहुकाल आदि।

6 अप्रैल 2023 का पंचांग:

आज की तिथि –

चैत्र पूर्णिमा आज का नक्षत्र – हस्त

आज का करण – बव

आज का पक्ष – शुक्ल

आज का योग – व्याघात

आज का वार – गुरुवार

आज का दिशाशूल – दक्षिण

सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय

सूर्योदय – 06:27:00 AMसूर्यास्त – 06:56:00 PMचन्द्रोदय – 18:56:59चन्द्रास्त – 06:10:00

चन्द्र राशि– कन्या

हिन्दू मास एवं वर्षशक सम्वत – 1945 शुभकृतविक्रम सम्वत – 2080

दिन काल – 12:35:25

मास अमांत – चैत्रमास पूर्णिमांत – चैत्र

शुभ समय – 11:58:44 से 12:49:06 तक

दोहा:

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।

बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै।

संकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

विद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।

लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु-संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

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