बिहार के चारा घोटाला में गवाह बनकर दीपेश चांडक बच गया था। अब बंगाल के पीडीएस स्कैम का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। चारा घोटाले में चांडक की गवाही काफी अहम थी, कहा जाता है कि इसकी गवाही की वजह से ही लालू यादव समेत कई आरोपियों को सजा दिलाने में सीबीआई को मदद मिली। दीपेश चांडक के लिए इसमें फायदा ये रहा कि वो जेल जाने बच गया। इसके बाद वो नए ‘शिकार’ के फिराक में लग गया। अब पश्चिम बंगाल में हुए राशन वितरण घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने शिकंजा कसा है। पूर्व खाद्य और आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को जेल की हवा खानी पड़ रही।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपए के राशन वितरण मामले में अब तक 18.20 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की है। सबसे अधिक वसूली बांकुड़ा स्थित दो कॉर्पोरेट संस्थाओं से हुई है। एजे एग्रोटेक और एजे रॉयल से कुल जब्त राशि 16.80 करोड़ रुपए है।

सूत्रों ने बताया कि ये बरामदगी इस महीने की शुरुआत में की गई व्यापक छापेमारी और तलाशी अभियान के जरिए हुई।वहीं, ईडी के अधिकारियों ने पैकेज्ड आटा उत्पादन और विपणन इकाई अंकित इंडिया लिमिटेड के कार्यालय से 1.40 करोड़ रुपए बरामद की। ये कॉर्पोरेट यूनिट पश्चिम बंगाल में राशन वितरण मामले को बहुचर्चित बिहार चारा घोटाले से जोड़ती है।इस कंपनी के निदेशकों में से एक, दीपेश चांडक को 1996 में बिहार में चारा घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, बाद में वो सरकारी गवाह बन गया और रिहा भी हो गया।

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