भारत ने म्यांमार के खिलाफ आपत्ति जताई है, इसका कारण है कि म्यामांर ने चीन को उसके बंगाल की खाड़ी में कोको आइलैंड में मॉनिटरिंग और सर्विलिएंस फेसिलिटीज लगान के लिए चीन को अनुमति दी है. दरअसर यह कोको आइलैंड भारत के लिए स्ट्रेटेजिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है. अगर चीन इस आइलैंड पर अपने निगरानी उपकरण लगा लेता है तो वह भारत के ओडिशा स्थित बालासोर टेस्ट रेंज की हर लॉन्चिंग पर निगरानी रख सकता है.ऐसा माना जाता है कि भारत म्यामांर के साथ वर्तमान लीडरशिप सीनियर जनरल मिन आंग हलिंग के नेतृत्व में अच्छे संबंध रखेगा. लेकिन, साउथ ब्लॉक की ओर से कोको आइलैंड के मामले में आपत्ति दर्ज कराई है और फिलहाल वह म्यांमार के जवाब से संतुष्ट नहीं है।

आपत्ति पर म्यांमार की ओर से जवाब दिया गया है कि कोको द्वीप पर हो रहे इंफ्रा के निर्माण के पीछे चीन का कोई हाथ नहीं है. न ही उसे निगरानी स्टेशनों की यहां पर स्थापना की जा रही है.म्यांमार में जुंटा (सैन्य अधिकारियों का समूह) चीन से हर मामले में सावधानी बरत रहा है. म्यांमार के पास फिलहाल चीन का साथ देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. 2021 में तख्ता पलट के बाद से चीन का दखल यहां पर बढ़ गया है. चीन ने म्यांमार को करीब 4 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता दी है, दरअसल चीन इस तरह की सहायता देकर म्यांमार में बांग्लादेश से होते हुए कोरिडोर बनाना चाहता है.चीन की ख्वाहिश है कि वह बंगाल की खाड़ी में अपना वर्चस्व कायम रख सके. राष्ट्रीय सुरक्षा प्लानर्स और सैटेलाइट की तस्वीरों के मुताबिक यगह स्पष्ट है कि म्यांमार के कोको द्वीर पर डेलवप किए जा रहे इंफ्रा में बड़े-बड़े रनवे भी बनाई जा रहा है जो कि लड़ाकू और परिवहन विमानों के लैंडिंग के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

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