लोकजन शक्ति पार्टी (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने जमुई में एक सभा में कहा कि मैं यहां एक युवा के रूप में आया था और बूढ़ा होने तक यहीं रहूंगा.जाहिर था इसके राजनीतिक मायने निकाले.चिराग जमुई से हीं चुनाव लड़ेगे. चिराग की इस घोषणा से सबसे ज्यादा खुशी उनके चाचा पशुपति पारस को हुई होगी.लेकिन ये खुशी काफूर होते भी देर नहीं लगी. रविवार की शाम होते होते चिराग ने खुलासा कर दिया कि उनका मन है कि उनकी मां हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ें, जहां से उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान कई दशकों तक सांसद रहे. चिराग पासवान ने साफ कर दिया है वे हाजीपुर की सीट नहीं छोड़ सकते। चिराग ने कहा कि हाजीपुर बचपन से हमारा है और जमुई तो हमारी जवानी है.चिराग पासवान के इस बयान से पारस के साथ एक नया विवाद शुरू होने की संभावना है.चिराग के चाचा पशुपति पारस ने दावा किया है कि उन्होंने अपने दिवंगत भाई के आग्रह पर हाजीपुर से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था।

हाजीपुर के सांसद और चिराग पासवान के चाचा पारस ने यह दावा किया कि उनके दिवंगत भाई ने इस बात पर जोर दिया था कि वह इस सीट से चुनाव लड़ें.हालाकि भतीजा ने चाचा को 440वोल्ट का झटका तो दे हीं दिया है.बता दें रामविलास पासवान के निशेष होने के बाद साल 2021 में लोजपा दो हिस्सों में बंट गई थी. पारस के नेतृत्व वाले समूह को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के रूप में मान्यता मिली तो वहीं चिराग के नेतृत्व वाले दल को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नाम मिला.अब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान इस बात पर जोर देते रहे हैं कि उनकी पार्टी हाजीपुर से चुनाव लड़ेगी. पारस ने जवाब देते हुए आरोप लगाया कि उनका भतीजा जमुई को ‘छोड़ने’ की कोशिश कर रहा है, जहां से उन्होंने 2014 के आम चुनावों में पहली बार चुनाव लड़ा था. का चिराग पासवान ने पहले हीं ऐसी अटकलों पर विराम लगा दिया जब उन्होंने जमुई में एक सभा में कहा- मैं यहां एक युवा के रूप में आया था और बूढ़ा होने तक यहीं रहूंगा. बहरहाल भतीजे चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस को 440 वोल्ट का झटका तो दे हीं दिया है।

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