केंद्रीय मंत्री और हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान को फिर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का प्रमुख चुना गया। झारखंड में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चिराग पासवान को 5 साल के लिए पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। पार्टी ने सोशल मीडिया पोस्ट में इसकी जानकारी दी, जिसमें कहा गया कि पार्टी को आपके कुशल नेतृत्व पर पूर्ण भरोसा है और पार्टी आपके मार्गदर्शन में एक नई ऊंचाई हासिल करेगी।चिराग पासवान की पार्टी झारखंड में 28 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इसकी लिस्ट पार्टी आलाकमान को भेजी जा चुकी है, जिस पर रांची में आज आयोजित बैठक में चर्चा होने की संभावना थी। इसके अलावा ये भी जानकारी है कि लोजपा रामविलास हरियाणा और पश्चिम बंगाल में भी चुनाव लड़ने लड़ने वाली है। चिराग पासवान के झारखंड में 28 सीटों पर चुनाव लड़ने के दावों के बाद NDA में हलचल है। एक ओर बीजेपी सभी 81 सीटों पर झारखंड में चुनाव लड़ने वाली है, तो वहीं जेडीयू ने भी 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है। जेडीयू ने अपने 11 सीटों की सूची भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेज दी है। ऐसे में अगर चिराग पासवान 28 सीटों पर चुनाव लड़ते हैं, तो NDA की परेशानी में इजाफा तय है।वहीं, चिराग पासवान को एक बार फिर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के कई राजनीतिक मायने निकलकर सामने आ रहे हैं। यह फैसला कहीं न कहीं पार्टी में एकता और स्थिरता की ओर इशारा कर रहा है। चिराग पासवान के नेतृत्व में पार्टी को मजबूती मिलेगी। इस फैसले से बिहार ही नहीं देशभर में पार्टी का विस्तार संभव है। इसके अलावा चिराग पासवान की राजनीतिक स्थिति मजबूत होगी और पार्टी में मतभेदों को खत्म करने में मदद मिलेगी। यह फैसला न सिर्फ चिराग पासवान की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बढ़ाएगी, बल्कि इस फैसले से पार्टी एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकता है। पार्टी के लोगों का जिस तरह का भरोसा पार्टी प्रमुख स्वर्गीय राम विलास पासवान पर था, वैसा ही भरोसा चिराग पासवान को लेकर भी पार्टी के नेताओं के बीच बनेगी।भतीजे-चाचा में खुलकर टकराहट?बता दें कि चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी में तोड़फोड़ हो गई थी। उनके चाचा पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच कलह खुलकर सामने आई थी। पशुपति कुमार पारस पर पार्टी को तोड़ने का आरोप भी चिराग पासवान ने लगाया था। इसके बाद चिराग ने पार्टी को फिर से मजबूत किया और हाल में हुए लोकसभा चुनाव में उनके गुट को 5 सीट मिली और उन्होंने सभी सीटों पर जीत दर्ज की। दूसरी तरफ उनके चाचा पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं दी गई थी। राजनीति के जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के सभी सीट पर जीत और अब एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चिराग की बड़ी जीत है, इससे राजनीति में उनका कद और ऊंचा होगा।