मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की सरकार बनने की परंपरा को बदलने के लिए राजस्थान सरकार की तिजोरी को खोल दिया था। गारंटी देने से लेकर कांग्रेस को वोट देने के लिए सचिन पायलट तक का वीडियो संदेश अपने सोशल मीडिया हैंडल से जारी किया। राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे तक ने जयपुर में कैंप किए, लेकिन सरकार रिपीट नहीं हो पाई। भाजपा के हिंदुत्व कार्ड, ध्रुवीकरण के आगे कांग्रेस पस्त हो गई। सचिन पायलट से टकराव गहलोत को भारी पड़ा। भाजपा की पांच साल बाद फिर सत्ता में वापसी हो गई है।

प्रदेश की जनता ने पीएम मोदी पर भरोसा जताया है। उनके ही चेहरे पर भाजपा ने चुनाव लड़ा, जिस पर जनता ने वोट किया है।साल से कांग्रेस सरकार के मंत्रियों-विधायकों के कामकाज से लोग नाराज थे। गहलोत और पायलट के बीच टकराव से मंत्रियों व विधायकों पर भी पार्टी या सरकार का नियंत्रण नहीं था, जिसके कारण माहौल खराब होता चला गया।राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही महिला अपराध के मामले बढ़ रहे थे। लगातार पेपर लीक हो रहे थे। मंत्रियों और अधिकारियों तक पर संगीन आरोप लग रहे थे, जिससे महिलाओं और युवाओं में गहलोत सरकार के प्रति नाराजगी थी।

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