जातीय जनगणना पर एक बार फिर से नीतीश कुमार घिरते हुए नजर आ रहे है दरअसल में बिहार में जातीय गणना के दूसरे चरण का काम जल्द शुरू किया जाना है। उससे पहले बिहार के सभी जातियों के लिए एक कोड जारी किया गया है, जिसको लेकर जमकर चर्चा हो रही है और इसकी खामियों के बारे में बताया जा रहा है। जहां नीतीश सरकार इस कोड को लेकर खुश नजर आ रही है। वहीं भाजपा को यह रास नहीं आया है। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा है कि नीतीश सरकार संविधान के विपरीत जाकर काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि जातिय गणना शुरू होने से पहले सबी दलों की पहले बैठक बुलाई थी, इस बार बैठक नहीं बुलाई गई। जिसके कारण इस पर चर्चा नहीं हुई। अब गणना का जो फार्मेट तैयार किया गया है, वह बिल्कुल गलत है। इसमें ईसाई हरिजन शब्द का प्रयोग कर अलग से गणना की जा रही है। बाबा साहेब के बनाए संविधान में दलितों के लिए कोई जाति नहीं होने की बात कही गई है। यह संविधान के खिलाफ है कि ईसाई हरिजन कर उनके लिए अलग से गिनती की जाए।डा. जायसवाल ने कहा कि उसी तरह से हिन्दूओं के साथ मुस्लिमों की गिनती कराना भी कहीं से सही नहीं है। अल्पसंख्यक समाज की सदैव गिनती होती है, ऐसे में हिन्दुओं के साथ जोड़ने की बात कहीं से भी सही नहीं है।उसी तरह बनिया में ऐराकी को जोड़ दिया गया है।
लोहार जाति को ही समाप्त कर दिया गया है. जबकि लोहार जाति तब से है, जबसे हिन्दुओं का इतिहास लिखा गया है। इस गणना में उन्हें दूसरे में रख दिया गया है। दलितों में ईसाई हरिजन के नाम से गिनती कराना बिल्कुल गलत है। बिहार बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह का फार्मेट तैयार किया गया है. वह बताता है कि नीतीश कुमार को बाबा साहेब के संविधान में विश्वास नहीं है। ह
म यह नहीं कहते हैं कि जातीय गणना नहीं होनी चाहिए। लेकिन जिस तरह से इसे तैयार किया गया है, वह बताता है कि नीतीश कुमार सिर्फ जातीय विद्वेष के लिए करा रहे हैं। राज्य सरकार का यह फैसला बिल्कुल संविधान का उल्लंघन है, इसे सरकार को तत्काल वापस लेना चाहिए।हालांकि नीतीश कुमार अपने फैसले पर अडिग होते हुए हमेशा दिखते है लेकिन बीजेपी के तरफ से जो यह मांग की गई है इस पर नीतीश सरकार कितना ध्यान देते हुए बदलाव करती है या नहीं यह वक्त बताएगा।