महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है और तैयारियां शुरू कर दी है. महाराष्ट्र में भी इसबार लोकसभा चुनाव में नए-नए गठबंधन देखने को मिलेंगे. आगामी लोकसभा चुनाव करीब साढ़े तीन दशक के बाद दो बिलकुल नए गठबंधनों के बीच होगा. एक गठबंधन बीजेपी के साथ शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत गुट) का है तो दूसरा शिवसेना उद्धव गुट के साथ कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) का है.बीजेपीनीत गठबंधन के लिए सीटों का बंटवारा ज्यादा मुश्किल इसलिए नहीं होगा क्योंकि उसके साथ आए दोनों दलों की ज्यादा रुचि राज्य की राजनीति में है, लेकिन शिवसेना उद्धव गुट के साथ खड़ी कांग्रेस और एनसीपी के शरद पवार गुट की राष्ट्रीय राजनीति में रुचि जग जाहिर है. राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद प्रधानमंत्री पद की दावेदारी में सबसे आगे चल रही कांग्रेस किसी कीमत पर अन्य दो दलों से कम सीटों पर लड़ने को सहमत नहीं होगी. यह और बात है कि पिछले लोकसभा चुनाव में वह मुश्किल से एक सीट जीत सकी थी।
एनसीपी ने भी चार सीटें ही जीती थी. उस समय शिवसेना ने राज्य की 18 सीटें जीती थी.किसी आधार पर वह राज्य की 48 में से 18 सीटों पर लड़ने का दावा भी कर रही है, लेकिन उसकी इस मांग का सबसे मुखर विरोध कांग्रेस ही कर रही है क्योंकि 2014 में मोदी लहर की शुरुआत होने से ठीक पहले 2009 में वह 19.68 फीसदी मतों के साथ 17 सीटें जीतकर अन्य दलों के ऊपर ही थी, तब उसकी सहयोगी एनसीपी ने भी 19.28% मतों के साथ 8 सीटें जीती थी. 2014 में मोदी लहर की शुरुआत के बाद कांग्रेस और एनसीपी दोनों के सितारे गर्दिश में जाते रहे और उन्हें क्रमशः दो और चार सीटें प्राप्त हुई, जबकि शिवसेना-बीजेपी को क्रमशः 18 और 23 सीटें प्राप्त हुई.लोकसभा चुनाव के इतिहास में शिवसेना की यह अब तक की सबसे बड़ी सफलता थी जिसे वह अपनी निजी सफलता मानकर 6 माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर ऐसा अडी कि बीजेपी के साथ उसका 25 साल पुराना गठबंधन ही टूट गया. हालांकि, चुनाव परिणाम आने के एक माह बाद ही वह पुनः फडणवीस सरकार में शामिल हो गई. लेकिन कटुता उसके मन से नहीं गई. जिसके परिणाम स्वरुप 2019 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़कर भी उसने सरकार उसके साथ नहीं बनाई और कांग्रेस-एनसीपी के साथ जा मिली. अब 2024 के लोकसभा शिवसेना नहीं बल्कि विभाजित शिवसेना लड़ेगी. उससे 18 में से 13 सांसद पहले ही शिंदे गुट में जा चुके हैं. यह बात ‘इंडिया’ गठबंधन में उसके सहयोगी दल कांग्रेस और एनसीपी भी भली भांति समझ रहे हैं. सीटों के बंटवारे के लिए साथ बैठने पर यही बातें उठाकर शिवसेना उद्धव गुट पर दवाब बनाने की कोशिश करेंगे. फिलहाल तो ज्यादा सीटों पर लड़ने की सबसे ज्यादा मजबूत दावेदार अभिभाजित कांग्रेस ही लग रही है।