बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए एक महिला को 26 हफ्ते के भ्रूण का गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है। हाईकोर्ट ने महिला को ये मंजूरी सुनवाई के बाद दी है।महिला ने हाईकोर्ट को बताया था कि भ्रूण में माइक्रोसेफली नाम की बीमारी के लक्षण हैं, जिसमें बच्चे का सिर अन्य नवजातों की अपेक्षा छोटा होता है.जस्टिस रमेश धानुका और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी की बेंच ने शादीशुदा महिला की ओर से दायर याचिका पर ये आदेश जारी किया. महिला ने प्रेगनेंसी के 24 हफ्ते बीत जाने के बाद गर्भपात के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. भारत में भ्रूण के 24 हफ्तों होने के बाद गर्भपात कराने की इजाजत नहीं है. ये अपराध की श्रेणी में आता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये आदेश महिला की ओर से मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के बाद दिया. इन रिपोर्ट्स में डायग्नोस्टिक सेंटर और जसलोक अस्पताल की मेडिकल जांच शामिल थी. इन रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भ्रूण में माइक्रोसेफली के लक्षण हैं, जो बच्चे के न्यूरोलॉजिकल विकास समेत कई आसामान्य चीजों का कारण बन सकता है.हाईकोर्ट की ओर से बनाए गए जेजे अस्पताल के एक मेडिकल बोर्ड ने 26 मई को बताया कि यह गर्भपात के लिए एक सही मामला है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2022 में दिए गए एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जन्म देने के मामले में हर प्रेगनेंट महिला को गर्भपात को चुनने का अधिकार है. हाईकोर्ट ने कहा कि जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और हालातों के मद्देनजर हम इसे गर्भपात के के लिए सही मामला मानते हैं. याचिकाकर्ता को गर्भपात की मंजूरी दी जाती है. महिला के वकील की ओर से जेजे अस्पताल में ही गर्भपात कराए जाने की मांग को भी स्वीकार कर लिया।