इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, यूके, कनाडा और न्यूजीलैंड चार ऐसे बड़े देश हैं जहां मंदी की संभावना सबसे ज्यादा बताई गई है. दरअसल अमेरिका पर बैंकिंग संकट गहरा होता जा रहा है.अमेरिका, चीन, यूके के साथ कई बड़े देश मंदी की चपेट में सकते है. केवल भारत ऐसा देश है जहां मंदी आने की संभावना नहीं के बराबर है. ऐसा हम नहीं कह रहे. दरअसल वर्ल्ड ऑफ स्टैटेटिस्क के आंकड़ों की मानें तो भारत में मंदी आने की संभाववा जीरो फीसदी है. जबकि अमेरिका में यह संभावना 65 फीसदी है।
मंदी का सबसे खतरा बड़ा खतरा दुनिया के सबसे पावरफुल देश अमेरिका के उपर मंडरा रहा है. वहीं चीन में भी मंदी आने की संभावना 12.5 फीसदी जताई गई है. वर्ल्ड ऑफ स्टैटेटिस्क की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, चीन, यूके के अलावा दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत कई ऐसे देश है जहां मंदी आने की संभावना बढ़ गई है.इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, यूके, कनाडा और न्यूजीलैंड चार ऐसे बड़े देश हैं जहां मंदी की संभावना सबसे ज्यादा बताई गई है. दरअसल अमेरिका पर बैंकिंग संकट गहरा होता जा रहा है. अमेरिका के तीन बड़े बैंक पहले ही डूब चुके हैं. अब संभावना जताई जा रही है कि कई और बैंक डूबने की कगार पर है. वहीं अमेरिकी फेडरल रिजर्व लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जा रहा. फेड के कल भी ब्याज दरों में दसवीं बार बढ़ोतरी कर दी है।
अमेरिका के वित्तमंत्री से लेकर व्हाइट हाउस भी मंदी आने के संकेत दे चुका है.वर्ल्ड ऑफ स्टैटेटिस्क ने जो लिस्ट जारी की है उसके मुताबिक भारत इकलौता ऐसा देश है जहां रिशेसन की संभावना जीरो पर्सेंट है. दरअसल भारत के इकोनॉमिक इंडीकेटर्स में मजबूती बनी हुई है. चाहे मंहगाई के आंकड़ें हो या फिर मैन्युफैक्चरिंग डेटा. जीएसटी कलेक्शन की भी बात करें तो अप्रैल में यह अपने रिकॉर्ड स्तर पर रहा है. एयर ट्रैफिक ने भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है. निर्यात के मोर्चे पर भी भारत ने बाजी मारी है. इन इंडीकेटर्स के दम पर यह कहा जा सकता है कि भारतीय इकोनॉमी धीरे धीरे मजबूक स्थिति की ओर बढ़ रही है.अमेरिका से इतर यूके की बात करें तो वहां महंगाई की हालत बेहद खराब हो चुकी है. वहां का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी डूबा हुआ है. वहीं सरकार पर नए नोट छापने का भी दवाब बना हुआ है. बची खुची कसर रुस-यूक्रेन वार पूरी कर रही है. दरअसल कोरोना के दौर से ही ब्रिटेन के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है. कोरोना के दौरान ब्रिटेन की इकोनॉमी बुरी तरह से चरमरा गई थी जो अबतक पूरी तरह संभल नहीं पाई है।