प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी के खिलाफ उनके और उनके सहयोगियों को लेकर जारी धन शोधन जांच के तहत करीब 3,000 पन्नों का आरोप पत्र शनिवार को दायर किया. यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी. द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता बालाजी (47) को प्रधान सत्र न्यायाधीश एस अल्ली के समक्ष पेश किया गया. न्यायाधीश ने बालाजी को 25 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. ईडी ने मंत्री को गत 14 जून को गिरफ्तार किया था. वह चेन्नई स्थित केंद्रीय पुझल जेल में बंद रहेंगे. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने बालाजी को आरोपी बनाते हुए लगभग 3,000 पन्नों की अभियोजन शिकायत दायर की, जिसमें 2,000 से अधिक पृष्ठों के संलग्नक और 168-170 पृष्ठों के मुख्य दस्तावेज शामिल हैं. समझा जाता है कि ईडी ने जब्त किए गए विभिन्न दस्तावेजों, बरामद की गई कथित नकदी रसीदों और पिछले कुछ दिनों में उसके द्वारा आरोप पत्र में दर्ज किए गए बालाजी के बयान को रिकॉर्ड में लाया. सूत्रों के मुताबिक, अदालत ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत दायर आरोप पत्र पर अभी तक संज्ञान नहीं लिया है. न्यायाधीश अल्ली ने गत सात अगस्त को ईडी को मामले के संबंध में पूछताछ के लिए सेंथिल बालाजी को पांच दिनों के लिए हिरासत में लेने की अनुमति दी थी. शनिवार को हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद ईडी ने उन्हें न्यायाधीश के सामने पेश किया. न्यायाधीश ने बालाजी से पूछा कि ईडी ने हिरासत के दौरान उनके साथ कैसा व्यवहार किया और क्या एजेंसी के खिलाफ कोई शिकायत है. सूत्रों ने बताया कि बालाजी ने जवाब दिया कि ईडी ने उनके साथ अच्छा व्यवहार किया और उन्हें कोई शिकायत नहीं है. एजेंसी द्वारा बाद में एक पूरक आरोपपत्र दायर किए जाने की उम्मीद है, क्योंकि बालाजी के परिवार के सदस्यों सहित कई अन्य लोगों ने अब तक उसके सामने बयान नहीं दिया है. एजेंसी ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि बालाजी के भाई आर वी अशोक बालाजी, उनकी (अशोक की) पत्नी निर्मला और सास पी लक्ष्मी को जांच में शामिल होने और अपने बयान दर्ज कराने के लिए कई समन भेजे गए थे, लेकिन वे अभी तक व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं हुए हैं, जो जांच में सहयोग की कमी को दिखाता है. इस मामले में कुछ दिन पहले ही करूर स्थित निर्मला की 2.49 एकड़ जमीन ईडी ने जब्त की थी, जिसकी कीमत 30 करोड़ रुपये से अधिक है. तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की सरकार में बालाजी बिना प्रभार के मंत्री बने हुए हैं. तमिलनाडु की पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम) सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए कथित नौकरी के बदले नकदी घोटाले के सिलसिले में बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया गया था. बालाजी उस दिन से सात अगस्त तक न्यायिक हिरासत में थे. उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद, ईडी ने सात अगस्त को एक याचिका दायर की थी, जिसमें मामले के संबंध में पूछताछ के लिए सेंथिल बालाजी की पांच दिनों की हिरासत का अनुरोध किया गया था और अदालत ने इसकी इजाजत दे दी थी।

बालाजी की पत्नी मेगाला ने मूल रूप से, यह आरोप लगाते हुए कि उनके पति ईडी की अवैध हिरासत में हैं, एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (एचसीपी) दायर की थी, जिसमें एजेंसी को उनके पति को अदालत के सामने पेश करने और उन्हें रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. चार जुलाई 2023 को एक खंडपीठ ने खंडित फैसला सुनाया, जिसमें एक न्यायाधीश-न्यायमूर्ति निशा बानी ने उनकी याचिका को स्वीकार कर ली, जबकि न्यायमूर्ति भरत चक्रवर्ती ने कहा कि ईडी के पास आरोपी को हिरासत में लेने की शक्ति है. इसलिए, मामले को तीसरे न्यायाधीश के पास भेजा गया. तीसरे न्यायाधीश के रूप में नामित न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन ने 14 जुलाई को सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी और उसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने को बरकरार रखा था. हालांकि, उन्होंने उस तारीख को तय करने के लिए मामले को उसी खंडपीठ के पास भेज दिया, जिस तारीख से ईडी आरोपी की हिरासत ले सकती है. उन्होंने यह इंगित किया कि मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है, उसी खंडपीठ ने 25 जुलाई को एचसीपी पर सुनवाई बंद कर दी थी. उच्चतम न्यायालय ने बालाजी और उनकी पत्नी द्वारा दायर उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी द्वारा पारित हिरासत आदेश को एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की आड़ में चुनौती नहीं दी जा सकती. एजेंसी ने पहले दावा किया था कि बालाजी ने रिश्वत के लिए अपने पद का ‘दुरुपयोग’ किया और 2014-15 के दौरान राज्य परिवहन उपक्रमों में नौकरी घोटाले का ‘‘षड्यंत्र रचा’’, जिसमें उनके सहयोगियों के माध्यम से उम्मीदवारों द्वारा कथित रिश्वत का भुगतान किया गया. एजेंसी ने दावा किया कि बालाजी के सहयोगियों में उनके भाई आर वी अशोक कुमार और उनके निजी सहायक बी शनमुगम और एम कार्तिकेयन शामिल थे. ईडी ने इन आरोपों की जांच के लिए सितंबर 2021 में धनशोधन का मामला दर्ज किया था और उसकी शिकायत 2018 में और बाद में तमिलनाडु पुलिस द्वारा दर्ज की गई तीन प्राथमिकी और बाद में उन व्यक्तियों द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी पर आधारित थी, जिन्हें वादे के मुताबिक नौकरी नहीं दी गई।

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