दो हिस्से में बंटी लोक जनशक्ति पार्टी को एक करने का प्रयास लक्ष्य से पहले ही लड़खड़ा रहा है।चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच समझौता कराने का भाजपा का प्रयास जोर नहीं पकड़ पा रहा है।पारस इन दिनों भाजपा के पक्ष में अधिक मुस्तैदी से खड़े हैं तो भतीजा चिराग कह रहे हैं कि उनके सभी विकल्प खुले हुए हैं।चिराग ने दावा किया है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है। पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और चिराग की पार्टी का नाम लोक जनशक्ति पार्टी है।पार्टी में विभाजन राजग को समर्थन देने के मुद्दे पर हुआ था। तब पार्टी के छह में से पांच सांसद पारस के नेतृत्व में राजग में शामिल हो गए थे।चिराग अकेले पड़ गए थे।
हालांकि, बाद में उन्होंने भी राजग से संबंध सुधार लिया। लेकिन, नवादा में अमित शाह की रैली के बाद से चिराग का रुख बदला हुआ है।उन्हें संदेह है कि कहीं भाजपा नवादा पर अपना दावा न ठोंक दे। 2019 में भाजपा ने नवादा की सीट लोजपा को दी थी। उसकी जीत भी हुई थी।चंदन सिंह सांसद हैं। अमित शाह दो अप्रैल को नवादा गए थे। अच्छी भीड़ जुटी थी। चिराग ने आठ अप्रैल को कह दिया कि चुनावी समझौते के लिए सभी विकल्प खुले हैं। सिर्फ नीतीश कुमार से परहेज है।चिराग की पार्टी हर हाल में उन सभी छह लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जिनपर 2019 में एकीकृत लोजपा की जीत हुई थी।
वे उन सभी पांच सांसदों को दोबारा टिकट भी नहीं देना चाहते, जो उन्हें अकेले छोड़कर चले गए थे। पशुपति कुमार पारस को भी पसंद नहीं करते हैं।बदली हुई स्थिति में लोजपा को पिछले चुनाव में दी गई कुछ सीटों पर भी भाजपा अपना उम्मीदवार खड़े करना चाहती है। इस संभावना ने चिराग को सतर्क कर दिया है।चिराग को नीतीश कुमार से बहुत परहेज है। राजद और लालू प्रसाद के परिवार से नहीं है।पारस हार मानने के मूड में नहीं हैं। वह चिराग से समझौते के लिए तैयार हैं, मगर शर्तें अपनी होंगी। इसमें सभी पांच सांसदों के टिकट की गारंटी भी शामिल है।वह राजग में बने रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। अपने स्वभाव के विपरीत पारस इन दिनों नीतीश कुमार का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।सासाराम की हिंसा के लिए उन्होंने नीतीश पर सीधा आरोप लगाया। कहा-अमित शाह की यात्रा को रोकने के सासाराम में राज्य प्रायोजित हिंसा हुई।