प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन और कनाडा में बढ़ती खालिस्तानी गतिविधियों का मुद्दा उठाया। सूत्र बताते हैं कि पीएम ने द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत के दौरान दोनों देशों में बढ़ते खालिस्तानी समर्थकों और भारत के खिलाफ साजिश रचने के लेकर चिंता जताई। भारत ने ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो से खालिस्तानी गतिविधियों को रोके जाने और भारत के खिलाफ प्रदर्शनों पर रोक लगाने की मांग भी की। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया। बता दें कि ब्रिटेन के पीएम सुनक ने अभी कुछ दिनों पहले ही खालिस्तानियों पर सख्ता कार्रवाई करने के लिए अलग से एक कोष का गठन भी किया है। वहीं कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो ने भी पीएम मोदी की बात को सुना। मगर वह इस मुद्दे पर रक्षात्मक दिखे। जबकि ऋषि सुनक ने भारत को खालिस्तानियों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया।सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने यूके और कनाडा के साथ द्विपक्षीय स्तर पर बढ़ती खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को प्रमुखता के साथ उठाया है। प्रधानमंत्री हमेशा उन मुद्दों को उठाते हैं जो सीधे तौर पर हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डालते हैं। इससे पहले फोन पर भी भारत कई बार कनाडा में बढ़ती खालिस्तानी गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठा चुका है और जस्टिन ट्रुडो के सामने अपनी आपत्ति जता चुका है। यह बात अलग है कि जस्टिन ट्रुडो खालिस्तानियों पर सख्त कार्रवाई से हर बार अपना बचाव करते दिखे हैं।जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्वन के सभी नेताओं ने पीएम मोदी के साथ बेहद गर्मजोशी के साथ मुलाकात की।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मौक्रों, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज व ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्षों ने भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात के दौरान हंसी मजाक भी किया। कई मौकों पर ठहाके भी लगाए। मगर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो का चेहरा हर तस्वीर में उतरा उतरा नजर आया। जैसे लगा कि पीएम मोदी से कनाडा के प्रधानमंत्री अपनी आंखें चुरा रहे हों। किसी भी तस्वीर में उनके चेहरे पर हंसी और गर्मजोशी देखने को नहीं मिली।कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो को क्या पता था कि प्रधानमंत्री मोदी खालिस्तानी गतिविधियों का मुद्दा जी-20 के दौरान जरूर उठाएंगे। लिहाजा वह प्रधानमंत्री मोदी से हर मुलाकात के दौरान अपनी आंखें चुराते रहे। जैसे उनके पास भारत के विरोध का कोई जवाब ही न हो। बता दें कि जस्टिन ट्रुडो खालिस्तानियों के प्रति सहानुभूति रखने के लिए पहले से ही जाने जाते रहे हैं। कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी सिखों से उनका खासा लगाव भी रहा है। उनके कैबिनेट में बराबर सिख मंत्रियों को जगह मिलती रही है। इससे समझा जा सकता है कि जस्टिन ट्रुडो खालिस्तानियों पर सीधी कार्रवाई से हमेशा बचते रहे हैं। वह भारत की चिंताओं पर सिर्फ औपचारिक कार्रवाई ही कर पाते हैं। खालिस्तानी अक्सर कनाडा में भारतीय दूतावास पर हमले करते रहते हैं और तिरंगे का अपना करते हैं। इसके बावजूद कनाडा की सरकार उन पर सख्त कार्रवाई करने से परहेज ही करती है।