सीतारमण ने सोमवार को कहा कि जनधन योजना के जरिए आए बदलाव और डिजिटल परिवर्तन ने देश में वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इंक्लूजन) में क्रांति ला दी है। उन्होंने कहा कि इसके जरिए 50 करोड़ से अधिक लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में जोड़ा गया, जिनकी जमा राशि दो लाख करोड़ रुपये से अधिक है। प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) की नौवीं वर्षगांठ पर सीतारमण ने कहा कि 55.5 प्रतिशत बैंक खाते महिलाओं द्वारा खोले गए हैं और 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है। योजना के तहत बैंक खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से 3.4 गुना बढ़कर 16 अगस्त 2023 तक 50.09 करोड़ हो गई। कुल जमा राशि भी मार्च 2015 तक 15,670 करोड़ रुपये से बढ़कर अगस्त 2023 तक 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। सीतारमण ने कहा, ‘‘ पीएमजेडीवाई के जरिए लाए गए बदलावों और डिजिटल परिवर्तन से नौ वर्षों में भारत में वित्तीय समावेशन में क्रांति आई है।
हितधारकों, बैंकों, बीमा कंपनियों और सरकारी अधिकारियों के सहयोगात्मक प्रयासों से पीएमजेडीवाई देश में वित्तीय समावेशन के परिदृश्य को बदलने वाली एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आई।’’ वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि जनधन-आधार-मोबाइल (जेएएम) ने आम आदमी के खातों में सरकारी लाभों के सफल हस्तांतरण को सक्षम बनाया है। कराड ने कहा, ‘‘ पीएमजेडीवाई खाते प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी जन-केंद्रित पहल का आधार बन गए हैं। इसने समाज के सभी वर्गों, खासकर वंचित वर्ग के समावेशी विकास में योगदान दिया है।’’ वित्तीय समावेशन पर राष्ट्रीय मिशन यानी प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को की गई थी। यह देश के वित्तीय परिदृश्य को बदलने में सफल रहा है। पीएमजेडीवाई खाताधारकों को कई लाभ प्रदान करता है। इसमें खाते में न्यूनतम राशि रखने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा मुफ्त रुपे डेबिट कार्ड, दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और 10,000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा जैसी सेवाएं इसमें शामिल हैं।