विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत की जी20 की अध्यक्षता चुनौतियों से भरी हुई रही है. उन्होंने इसकी वजह भी बताई है. उनका कहना है कि ऐसा बहुत ज्यादा पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण और उत्तर-दक्षिण विभाजन की वजह से हुआ. अमेरिका के न्यूयॉर्क में ‘इंडिया-यूएन फॉर ग्लोबल साउथ: डिलीवरिंग फॉर डेवलपमेंट’ में विदेश मंत्री ने भारत की जी20 की अध्यक्षता और नई दिल्ली में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर बात की. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत जी20 अध्यक्षता के जरिए इस बात सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध था कि सम्मेलन अपने मूल एजेंडे पर हो सके. न्यूयॉर्क में कई प्रमुख देशों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘आपकी मौजूदगी हमारे लिए बहुत मायने रखती है. ये उन भावनाओं को भी व्यक्त करती है, जो आप भारत के लिए महसूस करते हैं।
हम नई दिल्ली में हुई जी20 बैठक के कुछ हफ्ते बाद मिले हैं. ये सम्मेलन ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम पर हुआ.’जयशंकर ने कहा, ‘जी20 के एक चुनौतीपूर्ण शिखर सम्मेलन रहा. वास्तव में ये चुनौतीपूर्ण अध्यक्षता रहा. ऐसा इसलिए रहा, क्योंकि हमें बहुत ज्यादा पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण के साथ-साथ बहुत गहरे उत्तर-दक्षिण विभाजन का सामना करना पड़ा.’ उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन हम जी20 के अध्यक्ष के तौर पर ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि जिस संगठन पर दुनिया को इतनी ज्यादा उम्मीद है, वह अपने मूल एजेंडे पर पर वापस लौट सके.’विदेश मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन का मूल एजेंडा वैश्विक वृद्धि और विकास रहा. इसलिए ये बेहद जरूरी था कि हम ग्लोबल साउथ समिट की आवाज बनकर अपनी जी20 की अध्यक्षता की शुरुआत करें. ये एक ऐसी एक्सरसाइज है, जिसमें दक्षिण के 125 देश शामिल थे. उन्होंने ये भी बताया कि किस तरह से ग्लोबल साउथ को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसमें आर्थिक चुनौतियों से लेकर युद्ध तक शामिल है।