केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि भारत नकली दवाओं पर जीरो-टॉलरेंस की नीति का पालन करता है और भारत में बने दूषित कफ सिरप के कारण होने वाली मौतों के बारे में चिंता जताने के बाद 71 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उनमें से 18 को अपनी कंपनी बंद करने के लिए कहा गया है।एक विशेष साक्षात्कार में केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि देश में गुणवत्तापूर्ण दवाओं के उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक जोखिम-आधारित विश्लेषण लगातार किया जाता है। साथ ही सरकार और नियामक हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहते हैं कि नकली दवाओं से किसी की मृत्यु न हो। उन्होंने कहा कि हम दुनिया की फार्मेसी हैं और हम सभी को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम दुनिया की ‘गुणवत्ता वाली फार्मेसी’ हैं।इस साल फरवरी में तमिलनाडु स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अपनी आई ड्रॉप्स की पूरी खेप को वापस मंगा लिया था। इससे पहले पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में क्रमश: 66 और 18 बच्चों की मौत की वजह कथित रूप से भारत में निर्मित कफ सिरप को बताया गया था।भारत ने 2022-23 में 17.6 अरब अमेरिकी डॉलर के कफ सिरप का निर्यात किया था, जबकि 2021-22 में यह 17 अरब अमेरिकी डॉलर था। कुल मिलाकर, भारत विश्व स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है, जो विभिन्न टीकों के लिए वैश्विक मांग के 50 प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति करता है। इसके साथ ही अमेरिका में लगभग 40 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं की और ब्रिटेन में लगभग 25 प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति करता है।

मंडाविया ने कहा, जब भी भारतीय दवाओं को लेकर कुछ सवाल उठते हैं तो हमें तथ्यों की तह तक जाने की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए गाम्बिया में यह कहा गया था कि 49 बच्चों की मौत हो गई है। डब्ल्यूएचओ में किसी ने यह कहा था और हमने उन्हें पत्र लिखकर पूछा कि वास्तविकता क्या है। तथ्यों को लेकर कोई भी हमारे पास वापस नहीं आया। उन्होंने कहा, हमने एक कंपनी के सैंपल चेक किए। हमने मौत की वजह जानने की कोशिश की और पाया कि बच्चे को डायरिया था। अगर किसी बच्चे को डायरिया हुआ तो उसके लिए कफ सिरप की सलाह किसने दी?मंत्री ने आगे कहा कि कुल 24 नमूने लिए गए, जिनमें से चार विफल रहे। उन्होंने कहा, सवाल यह है कि क्या सिर्फ निर्यात के लिए एक खेप बनाया गया था और अगर वह विफल रहता है, तो सभी नमूने विफल हो जाएंगे। यह संभव नहीं है कि 20 सैंपल पास हो जाएं और चार सैंपल फेल हो जाएं। फिर भी हम सतर्क हैं। हम अपने देश में गुणवत्तापूर्ण दवाओं का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए जोखिम आधारित विश्लेषण जारी रखे हुए हैं।

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