नए संसद भवन के उद्घाटन पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई है। याचिका में शीर्ष अदालत से नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश लोकसभा सचिवालय को देने की मांग की गई है। याचिका में कहा है, लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासचिव का उद्घाटन समारोह के लिए जारी निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।

नए संसद भवन पर केंद्र सरकार के साथ अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) मिलाकर 25 दल हैं। वहीं, उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार की विपक्ष की मुहिम से कई दलों ने किनारा कर लिया है। बसपा, जद-एस और तेलुगू देशम ने बृहस्पतिवार को समारोह में शामिल होने का एलान किया। उन्होंने कहा, यह जनहित का मुद्दा है, इसका बहिष्कार करना गलत है। एनडीए में भाजपा समेत 18 दलों के अलावा विपक्षी खेमे के सात दलों ने उद्घाटन समारोह में शिरकत करने की रजामंदी दी है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि केंद्र में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, बसपा ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर फैसले किए हैं। संसद के नए भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए स्वागत करती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों संबंधी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण वह समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगी। वहीं, आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल तेदेपा की ओर से राज्यसभा सांसद कनकमेदला रवींद्र कुमार समारोह में प्रतिनिधित्व करेंगे। तेदेपा की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने यह फैसला किया। वर्तमान में तेदेपा के राज्यसभा में एक तथा लोकसभा में तीन सांसद हैं।

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राष्ट्रपति पद संसद का प्रथम अंग है। सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है। 140 करोड़ भारतीय जानना चाहते हैं कि राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन का हक छीनकर सरकार क्या जताना चाहती है?

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