पूरे देश में अवैध हथियारों (फायरआर्म्स) के आसानी से उपलब्ध होने को सुप्रीम कोर्ट ने बहुत गंभीर मसला कहा है. कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से बताने को कहा है कि वह इससे निपटने के लिए क्या कर रहे हैं. राज्य सरकारों को यह भी बताना है कि उन्होंने बिना लाइसेंस हथियार रखने वालों पर कितने मुकदमे दर्ज किए हैं।राज्य सरकार के अलावा कोर्ट ने हर राज्य के पुलिस महानिदेशक को भी अलग से जवाब दाखिल करने को कहा है. साथ ही केंद्र सरकार को बताने को कहा है कि आर्म्स एक्ट के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए किस तरह के कदम उठाने की ज़रूरत है।इससे पहले 13 फरवरी को जस्टिस के एम जोस्फ़ और बी वी नागरत्ना की बेंच ने इस समस्या पर खुद संज्ञान लेते हुए केस दर्ज किया है।

यह संज्ञान उत्तर प्रदेश के एक मामले को सुनते हुए लिये गया था. कोर्ट ने यूपी सरकार से हलफनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा था कि उसने अवैध आग्नेयास्त्र (फायरआर्म्स) रखने और उनके इस्तेमाल के लिए कितने केस दर्ज किए हैं? साथ ही यह भी बताने के लिए कहा है कि इस समस्या से निपटने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं? 2017 में बागपत के रहने वाले राजेंद्र कुमार सिंह पर हत्या का केस दर्ज हुआ था. राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में हुई इस हत्या में अवैध हथियार के इस्तेमाल का आरोप है. बायाचिकाकर्ता की तरफ से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस के एम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने अवैध हथियारों के चलन पर संज्ञान ले लिया था।

मामले पर नोटिस जारी करते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा था, “भारत में अमेरिका की तरह कानून नहीं है. अमेरिका में हथियार रखने को मौलिक अधिकार माना गया है. लेकिन भारत में लाइसेंस पाने के बाद ही फायरआर्म्स रखे जा सकते हैं. फिर भी जगह-जगह अवैध हथियार बन रहे हैं और लोग उन्हें खरीद कर इस्तेमाल कर रहे हैं.” कोर्ट ने कहा था कि सरकार अवैध हथियार रखने के मामले में आर्म्स एक्ट और दूसरे कानून के तहत तो कार्रवाई करती है, लेकिन इसके चलन को रोकने के लिए कोई व्यापक कदम नहीं उठाया जाता है।मामले में सहायता के लिए एमिकस क्यूरी बनाए गए वरिष्ठ वकील एस नागामुथु ने जजों को जानकारी दी कि यूपी सरकार अपना जवाब दाखिल कर चुकी है. उन्होंने सलाह दी कि अवैध हथियारों की समस्या पूरे देश में है. इसलिए सभी राज्यों से जवाब मांगे जाने की जरूरत है. इसे स्वीकार करते हुए जजों ने सभी राज्यों को नोटिस जारी कर दिया. मामले पर अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी।

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